Thursday, February 16, 2017

HDR(Human Development Report)-2015
मानव विकास रिपोर्ट -2015
Theme-Work for human development

इस रिपोर्ट को UNDP(United Nation Development Program) द्वारा प्रकाशित किया जाता है।

1990 में भारत के अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन और पाकिस्तान के महबूब उल हक ने HDI का कंसेप्ट लाया।
2015 की रिपोर्ट इथोपिया की राजधानी आदिस अबाबा से प्रकाशित की गई।

मानव विकास रिपोर्ट में 5 चीजें समाहित होती हैं।
1. मानव विकास सूचकांक(HDI)
2. मानव विकास सूचकांक में असमानता को समायोजित करना (IHDI)
3. लिंग विकास सूचकांक (Gender dev index)
4. लिंग असमानता सूचकांक(Gender inequality Index)
5. बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional poverty index)

एक-एक करके बारी-बारी से सब के बारे में देख लेते हैं।

1. मानव विकास सूचकांक- मानव विकास सूचकांक को मापने के तीन हैं।
i) लंबा और स्वस्थ जीवन जीना
ii) शिक्षित और ज्ञानवान होना
iii) आर्थिक रुप से अच्छा जीवन व्यतीत करना

भारतवर्ष में जीवन प्रत्याशा 68 वर्ष है।
Schooling का औसत 5.4 वर्ष है।
GNI Per Capta (ppp-2011) $5497 है।

HDI-2015 India-   0.609 (Rank-130)
HDI में नंबर वन नार्वे और सबसे अंत में 188 नंबर नाइजर का है।
HDI को तीन खंडों में विभाजित करते हैं-
Very high(0.8-1.0)- नार्वे ,ऑस्ट्रेलिया , स्विजरलैंड, डेनमार्क ,नीदरलैंड
High(0.7-0.8)- श्रीलंका ,ब्राजील ,चाइना
Medium(0.550-0.770)- भारत भूटान बांग्लादेश
Low(<0.550)- नेपाल ,पाकिस्तान ,म्यांमार ,नाइजर(188)
( इसमें मैंने प्रत्येक श्रेणी में सारे देशों के नाम नहीं लिखे हैं)

2. IHDI(inequality human development index)-
HDI में हम मध्य श्रेणी में आते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि भारत के सभी लोग पढ़े-लिखे हैं, सभी के पास रोजगार है। HDI में हम मध्य श्रेणी में आते है तो इसका मतलब हम विश्व के देशों में कुछ हद तक सम्मानित स्थिति में है परंतु भारत के अंदर HDI मापने की तीनों श्रेणियों में काफी असमानता है। बहुतों के पास रोजगार नहीं है बहुत से लोग पढ़े लिखे नहीं हैं। यदि हम असमानता के साथ मानव विकास सूचकांक को समायोजित करें तो भारत का स्थान 131 है।

3. लिंग विकास सूचकांक(GDI)-
Formula=Female HDI/Male HDI
अगर यह मान 1 या 1 से ज्यादे आता है तो वह देश लिंग विकास सूचकांक में सबसे अच्छा माना जाएगा। जैसे इसटोनिया, रूस ।
भारत के लिए यह मान 0.735 है। जो कि बहुत ही खराब है।

4. लिंग असमानता सूचकांक (GII)-HDR में इसे 2010 से शामिल किया गया है।
इस को मापने के 4 आधार हैं-
I)Reproductive health मातृ मृत्यु दर भारत वर्ष में  190 है अर्थात प्रत्येक 1 लाख पैदा हुए बच्चों पर 190 माताएं मर जाती हैं जोकि बहुत खराब है
II)Adolescent birth rate- इसे हम ऐसे समझ सकते हैं कि भारत वर्ष में बहुत सी महिलाओं की शादी 15 से 19 वर्ष के बीच हो जाती है और इस दौरान यदि वे गर्भवती हो जाती है तो प्रत्येक 1000 महिलाओं पर 33 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है
III) महिला सशक्तिकरण -हमारे देश में संसद में केवल 12.2%प्रतिशत महिलाएं हैं और केवल 27 प्रतिशत महिलाएं ही हाईस्कूल पास हैं जो कि बहुत खराब है
IV) आर्थिक गतिविधि- भारतवर्ष में केवल 27 प्रतिशत महिलाएं ही आर्थिक गतिविधि में लिप्त है
GII यदि जीरो आए तो उस देश में लैंगिक असमानता बहुत कम है और यदि एक या एक से ज्यादा आए तो उस देश में लैंगिक असमानता बहुत ज्यादा है।
GII India-130 Rank
1st rank-Slovenia
Last rank-Yemen(155 Rank)

5. बहुआयामी गरीबी सूचकांक -इसे 2010 से HDR में शामिल किया गया है।
भारत में गरीबी मापने का तरीका तेंदुलकर कमिटी की रिपोर्ट है
वर्ल्ड बैंक के अनुसार भारत में 37.7 प्रतिशत लोग गरीब हैं  जिनकी प्रति दिन की कमाई 1.25 डॉलर से कम हैं।
परंतु MPI के अनुसार भारत में लगभग 55% लोग गरीब हैं।

Bitcoin-

Bitcoin एक प्रकार की वर्चुअल करेंसी है ।इसे हम क्रिप्टो करेंसी भी बोलते हैं । यह एक प्रकार की e-करेंसी है। बिटक्वाइन के जनक सतोषी नाकोमोटो है ।उन्होंने 2008 में सबसे पहले दुनिया के सामने यह करेंसी ले आई ।2009 से इसका प्रचलन प्रारंभ हो गया। सतोषी नाको मोटो की वास्तविक पहचान अभी तक नहीं हो पाई है ।2009 में कैलिफोर्निया से सतोषी  नोकोमोटो समझ कर एक व्यक्ति को पकड़ा गया परंतु उसने कह दिया कि मैं तो सतोषी नाकोमोटो  नहीं हूँ।

कैसे कमा सकते हैं बिटक्वाइन-
बिटकॉइन कमाने के 3 तरीके हैं-
1. माइनिंग सॉफ्टवेयर की मदद से डाटा ब्लॉक हल करके हम बिटक्वाइन कमा सकते हैं।
2. अगर मान लो हम डॉट ब्लॉक हल नहीं कर पा रहे हैं तब भी हम बिटक्वाइन कमा सकते हैं ।हम वस्तु और सेवाओं को जिसके पास बिटक्वाइन है उसको बेच कर उससे बिटक्वाइन कमा सकते हैं।
3. अब मान लो हमारे पास वस्तुओं सेवाएं भी नहीं हैं तो भी हम बिटक्वाइन कमा सकते है ।हम जिस के पास भी बिटक्वाइन है उसको पेपर मनी  देदे और उसके समतुल्य बिटक्वाइन उससे प्राप्त कर सकते हैं। जैसे आज के समय में 1 बिटक्वाइन की कीमत ₹40761.45 है।
( यह बता तो रहे हैं लेकिन इस प्रकार से कमाने मत लग जाइएगा आप लोग। जैसे कि मन में आ गया कि अभी हम कंपटीशन की तैयारी कर रहे हैं तो कुछ साइड इनकम के लिए यही तरीका अपना लेते हैं,FEMA के अंतर्गत अंदर भी जा सकते हो)

सन 2031 तक सिस्टम में 21 मिलियन बिटक्वाइन का व्यापार होगा।

यदि आप 2.1 लाख डाटा ब्लॉक सॉल्व करते हैं तो आपको 50 बिट क्वाइन मिलेंगे ।अगले 2.1 लाख डाटा ब्लॉक यदि हल करते हैं तब आपको 25 बिटक्वाइन मिलेंगे ।इस प्रकार से इनकी संख्या घटती जाएगी। यह असीमित मात्रा में नहीं रहेंगे।

जैसे ₹1 में सौ पैसा होता है उसी प्रकार एक बिटक्वाइन में 10 (8, यह 8, 10 का पावर होगा) होता है ।बिटकॉइन की सबसे छोटी इकाई सतोषी है।

 मैं यह बार-बार कह रहा हूं कि डाटा ब्लॉक सॉल्व करने से बिटक्वाइन मिलते हैं । डाटा ब्लॉक नेट पर चलता रहता है। डाटा ब्लॉक को हल करने की स्पीड हेज रेट पर सेकंड में मापी जाती है ।समान्य लैपटॉप मे टाटा ब्लॉक को सॉल्व करने की स्पीड मात्र 30 kh/sec होती है और यदि लेपटॉप 24 घंटे चालू रहता है तब भी मात्र हम .003 बिटक्वाइन ही कमा पाएंगे यानी मात्र 3 डॉलर ही कमा पाएंगें। विद्युत बिल का खर्चा अलग होगा यानी हाथ में कुछ नहीं आने वाला।

अतः इन डाटा ब्लॉक्स को सॉल्व करने के लिए इस क्षेत्र के बड़े-बड़े खिलाडी माइनिंग सॉफ्टवेयर की मदद लेते हैं जिससे कि हल करने की स्पीड बहुत ही बढ़ जाती है। इसके लिए वे पावरफुल सिस्टम का उपयोग करते हैं जिसमें वह माइनिंग सॉफ्टवेयर डालते हैं इसमें माइनिंग रिग्स लगे होते हैं ।अब सवाल उठता है कि माइनिंग रिग्स क्या होते हैं ।देखो यदि तुम माइनिंग सॉफ्टवेयर को cpu की मदद से चलाओगे तो बहुत धीमी स्पीड मिलेगी ।लेकिन माइनिंग रिग्स में ग्राफिक्स कार्ड ग्राफिकल यूनिट मौजूद होता हैजिसमें gpu होता है और यदि जीपीयू की मदद से चलाओगे तो स्पीड बहुत ही तेज मिल जाएगी ।तो जो इस क्षेत्र के बड़े-बड़े खिलाड़ी होते हैं वे एक pc में बहुत ज्यादे ग्राफिक्स कार्ड ग्राफिकल यूनिट लगा देते हैं और इस प्रकार से कई दर्जन pc का उपयोग करके बिटक्वाइन कमाते हैं

क्या बिटक्वाइन का स्थानांतरण संभव है?
हां इसका स्थानांतरण संभव है ।इसके लिए आपको अपने सिस्टम में डिजिटल वालेट/e- वालेट सॉफ्टवेयर को लोड करना पड़ेगा ।यहां पर जाकर अपना अकाउंट बनाना पड़ेगा जैसे जीमेल पर अकाउंट बनाते हैं तो ईमेल एड्रेस और पासवर्ड होता है उसी प्रकार से यहां पर पब्लिक एड्रेस और पासवर्ड होता है ।यहां पर नाम, ip एड्रेस ,फोन नंबर इत्यादि का कोई भी उल्लेख नहीं किया जाता ।अत: इसका प्रयोग हवाला तथा टेरर फाइनेंसिंग में होता ह

जैसे ई मेल में आपको मान लीजिए बार बार देखो की cd फॉरवर्ड करनी है तो आप जितने लोगों को चाहे उतने को फॉरवर्ड कर सकते हैं लेकिन यहां एक बार में केवल 1 लोगों को ही बिटक्वाइन ट्रांसफर किया जा सकता है।बिटक्वाइन के स्थानांतरण पर निगरानी रखने के लिए पब्लिक लेजर मेल नामक एक सॉफ्टवेयर बनाया गया है जो प्रत्येक 10 मिनट पर बिटक्वाइन की ट्रांजैक्शन पर नजर रखता है ।आरटीजीएस और एनईएफटी के लिए ऑनलाइन पैसा भेजने के लिए सीलिंग निर्धारित है लेकिन बिटक्वाइन में कोई सीलिंग निर्धारित नहीं है आप कितना भी पैसा चाहे इधर से उधर भेज सकतेे आरटीजीएस और एनईएफटी के लिए ऑनलाइन पैसा भेजने के लिए सीलिंग निर्धारित है लेकिन बिटक्वाइन में कोई फीलिंग निर्धारित नहीं है आप कितना भी बिटक्वाइन चाहे इधर से उधर भेज सकते हैं ।बिटकॉइन की ट्रेडिंग चौबीसों घंटे चालू रहती है।
जिस व्यक्ति ने बिटकॉइन कमा लिया होता है तो आप उसको इस को डॉलर में बदलवाना पड़ेगा।इसके लिए कुछ वेबसाइट चल रही है जो यही काम करती है ।वह आपके बिटकोइन लेकर आपको उसके समतुल्य डालर दे देती हैं।

नक्सलवाद का इतिहास-

नक्सलवादी Mao ze dung के विचारों को मानने वाले वाम पक्ष अतिवादी होते हैं । इनका मानना होता है कि बंदूक की नाल से जो पावर निकलता है वही असली पावर होता है।
भारत में राज्यों के विरुद्ध क्रांतिकारी साम्यवाद की शुरुआत भारत में नक्सलवाद का जन्म नहीं है। बल्कि नक्सलवाद का जन्म तो 1946 से 1951 के बीच चलने वाले तेलंगाना आंदोलन में ही हो गया था। आज जो 2014 में तेलंगाना राज्य अलग से उभर कर आया है ,यह आंदोलन 1946 से ही चल रहा है और यह आंदोलन किसानों द्वारा जमींदारों के विरुद्ध चलाया जा रहा था और किसानों को साम्यवादी लोग सहायता कर रहे थे ।आंदोलन का उद्देश्य यह था कि एक अलग तेलंगाना राज्य बनाए जाएं ,जहां पर तेलुगु भाषियों का बहुमत हो। उस दौरान इस विवाद को सुरक्षाबलों की मदद से शांत कराया गया। परंतु तेलंगाना आंदोलन ने नक्सलवादी आंदोलन को प्रेरणा प्रदान की जो कि आगे 1960 से अपना पैर पसारता ही चला गया।
1964 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से एक धड़ा अलग हो गया तथा कम्युनिस्ट पार्टी(Marxist) का निर्माण किया। इसके अलग होने का कारण यह है कि 1962 के भारत-चीन युद्ध में सीपीआई ने चीन का साथ दिया था ,उससे नाराज होकर इस से एक धड़ा अलग हो गया ।साथी साथ आंदोलन को आगे चलाने पर भी दोनों की राय अलग अलग थी।
फिर 1967 में कांग्रेस ने सीपीआई-एम के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल में यूनाइटेड फ्रंट की गवर्नमेंट बना दी। जिस दिन मुख्यमंत्री अजाँय मुखर्जी शपथ लेने जा रहे थे ,उसी दिन नक्सलबाड़ी से एक घटना सामने आ गई ।विमल किसान नामक एक आदिवासी युवा कोर्ट का आदेश लेकर अपनी भूमि पर खेती करने जा रहा था, तभी जमींदारों ने उसे पिटवा दिया। इससे वहां गुस्सायें किसानों ने उल्टे जमींदारों पर ही हमला कर दिया। यह वही समय था जब भारत में बहुत बड़ी खाद्य त्रासदी आई थी तो किसानों का गुस्सा तो स्वभाविक ही था। नक्सलबाड़ी की समस्या जब शांत हुए तब राज्य सरकार ने नक्सलवाद की समस्या को हल करने के लिए कुछ उपाय सोचा जिसमें भूमि सुधार,वितरण समितियां इत्यादि बनाने को था।
1968 में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लग गया।
मई 1961 में एआईसीसीसीआर ( ऑल इंडिया कॉर्डिनेशन कमेटी ऑफ कम्युनिस्ट रिवोल्यूशन) का गठन हुआ। इस कमेटी ने राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने का निश्चय किया।
1969 में सीपीआईएम में भी फूट पड़ गई तथा वहां से एक और पार्टी उभरकर निकली जिसका नाम कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया(Marxist-Leninist) था। इस पार्टी के नेता कानू सान्याल थे।
1975 में कन्हाई चटर्जी ने माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर (MCC) बनाया।
1970 में चारू मजूमदार ने अपनी किताब मर्डर मेनुअल में आंदोलन को कैसे आगे बढ़ाना है ,जमींदारों को किस तरह से मारना है इन सब के बारे में दिशा-निर्देश किए गए थे ।नक्सली इस किताब को पवित्र ग्रंथ की तरह मानते हैं
1972 में चारु मजूमदार के गिरफ्तार हो जाने तथा बाद में मृत्यु हो जाने के कारण नक्सललवादी आंदोलन थोड़ा धीमा पड़ गया।
1974 में सीपीआईएमएल कभी विघटन हुआ ।उससे सीपीआईएमएल लिबरेशन नाम की पार्टी का उदय हुआ।
1975 में आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने अपना आयरन हैंड चलाया तथा नक्सलवादी समस्या को थोड़ा कम करने की कोशिश की। लेकिन वह इस समस्या को पूर्णतया खत्म करने में सफल नहीं हो पाई।
1977 में फिर एक बार विघटन होता है तथा सीपीआईएमएल पीपुल्स वार ग्रुप नामक पार्टी का उदय होता है।
1982 में इंडियन पीपल्स फ्रंट का गठन किया गया जो कि आगे चलकर सीपीआईएमएल लिबरेशन का पॉलिटिकल फ्रंट बना।
1989 में पहली और आखरी बार कोई नक्सली लोकसभा पहुंचा है ।उस नक्सली का संसदीय क्षेत्र में बिहार था।
1994 में इंडियन पीपल्स फ्रंट को बिल्कुल समाप्त कर दिया गया तथा सीपीआईएमएल को पूरी तरीके से राजनीतिक पार्टी घोषित कर दिया गया जोकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास रखता था वही पीपुल्स वार ग्रुप तथा ऑल इंडिया कॉर्डिनेशन कमेटी ऑफ कम्युनिस्ट रिवोल्यूशन इत्यादि सब नक्सलवादी आंदोलन में विश्वास रखते थें।
2004 में एमसीसी तथा पी डब्ल्यू जी का विलय हो गया तथा एक नई पार्टी जोकि सरकार के नियमों के मुताबिक बैन पार्टी है का गठन हुआ जिसका नाम सीपीआई(माओइस्ट) रखा गया। यह संसदीय लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखते थे इनका कहना था कि हम साम्यवादी सरकार का में विश्वास रखते हैं ।इनके विलय का एक कारण सन 2000 में झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य का निर्माण होना था ।जब इन राज्यों का निर्माण हुआ तो वहां की पुलिस नक्सलवादियों के विरुद्ध काफी सक्रिय हो गई तो नक्सलवादियों को लगा कि हम आपस में विलय ही कर लेते हैं तब ही जाकर हम इस आंदोलन को आगे बढ़ा सकते हैं ।उन्हें लगा कि संगठन में ही शक्ति है, अतः 2004 में विलय हो गया।
आज हम नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों को रेड कॉरिडोर के नाम से जानते है। यह समस्या पश्चिम बंगाल से शुरू होकर आज भारत के 173 जिलों में अपना पैर पसार चुकि है।

Monday, February 13, 2017

एक बार कलाम साहब से एक बच्ची ने पूछा कि आप तो हमेशा शांति शांति की बात करते रहते हैं और खुद मिसाइल और परमाणु बम बनाते रहते हैं। तब कलाम साहब ने बड़े ही मुस्कुराकर उस बच्ची से यह कहा कि बेटी शक्तिशाली ही शक्तिशाली की इज्जत करता है और मैं अपने देश को शक्तिशाली बनाने के लिए ये सब बनाता हूं। नहीं तो मेरे देश की कोई इज्जत नहीं रह जाएगी।

Thursday, February 9, 2017

Highlights of the union budget 2017

Highlights of the Union budget 2017-

# Highlights : बजट में रेल ई-टिकट, POS मशीनें और फिंगरप्रिंट रीडर सस्ते हुए, जबकि सिगरेट सहित तंबाकू उत्पाद, ऐल्युमिनियम उत्पाद और मोबाइल सर्किट महंगा हुआ।

# Highlights : 3 लाख रुपये तक सालाना आमदानी वालों को अब नहीं देना होगा कोई टैक्स
# Highlights : 2.5 लाख से 5 लाख तक की सालाना आय वालों को अब 10 की जगह से 5% टैक्स देना होगा.
# Highlights : 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक सालाना आमदानी वालों को अब देना होगा 10% सरचार्ज
# Highlights : 1 करोड़ रुपये से ज्यादा सालाना आमदानी वालों पर 15% का सरचार्ज जारी रहेगा
# Highlights : राजनीतिक दल अब किसी व्यक्ति से नकद में अधिकतम 2,000 रुपये ही चंदा ले सकती हैं
# Highlights : 3 लाख रुपये से ज्यादा कैश में लेनदेन पर रोक, ऐसे ट्रांजैक्शन डिजिटल मोड से करने होंगे.
# Highlights : 50 करोड़ से कम के सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों को टैक्स में 5% की राहत, अब 25% टैक्स देना होगा.
# Highlights : टैक्स में मध्यम वर्ग को राहत देने का फैसला, भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा कर मुक्त होगा
# Highlights : नोटबंदी के बाद 8 नवंबर से 30 नवंबर तक 1.09 करोड़ खातों में औसतन 5 लाख से अधिक जमा किए गए
# Highlights : 99 लाख लोगों ने अपनी आमदनी 2.5 लाख रुपये से कम बताई है
# Highlights : भारत में टैक्स से आने वाली आय काफी कम है, सिर्फ 24 लाख लोग 10 लाख से ज्यादा आय बताते हैं
# Highlights : सरकारी घाटा 3.2% से कम कर 3.0% करने का लक्ष्य है
# Highlights : बजट 2017-18 का कुल खर्च 21.47 लाख करोड़ रुपये, रक्षा क्षेत्र पर 2.74 लाख करोड़ होगा खर्च
# Highlights : आर्थिक अपराधियों के देश से भाग जाने पर जब्त होंगी उनकी संपत्ति
# Highlights : डॉकघरों से पासपोर्ट बनाने का प्रस्ताव
# Highlights : आधार कार्ड से पेमेंट के लिए 20 लाख नई मशीनें आएंगी
# Highlights : क्रेडिट-डेबिट कार्ड ना होने पर आधार कार्ड से कर पाएंगे पेमेंट
# Highlights : 125 लाख लोगों ने BHIM ऐप अपनाया डिजिटल इंडिया के JAM योजना
# Highlights : रेलवे से जुड़ी 3 कंपनियां शेयर बाजार में उतरेंगी
# Highlights : शेयर बाजार में उतरेगी IRCTC
# Highlights : बुनियादी ढांचों के विकास के लिए 3.96 लाख करोड़ का का फंड
# Highlights : विदेशी निवेश के लिए ऑन लाइन अर्जी दायर कर सकेंगी कंपनियां
# Highlights : हाईवे के विकास के लिए 64000 करोड़ का फंड
# Highlights : महिला कल्याण के लिए 1.86 लाख करोड़ का फंड
# Highlights : अब छोटे शहरों में पीपीपी मॉडल से एयरपोर्ट बनाए जाएंगे : जेटली
# Highlights : 2019 तक सभी ट्रेनों में बायो टॉइलट लगाए जाएंगे: वित्त मंत्री
# Highlights : 3500 किमी नई पटरी बिछाई का लक्ष्य, पर्यटन व तीर्थ स्थलों के लिए अलग से ट्रेनें चलाई जाएंगी
# Highlights : 25 चुनिंदा स्टेशनों का विकास जाएगा
# Highlights : ई टिकटों पर सर्विस टैक्स समाप्त होगा
# Highlights : 2020 तक मानव रहित क्रॉसिंग पूरी तरह खत्म किए जाएंगे
# Highlights : रेल सुरक्षा के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का फंड.
# Highlights : वरिष्ठ नागरिकों के लिए LIC योजना लाएगी सरकार
# Highlights : डॉक्टरों के लिए पीजी रोर्स में 5000 सीटों में इजाफा किया जाएगा
# Highlights : 2025 तक टीबी खत्म करेंगे
# Highlights : 2020 तक चेचक खत्म करेंगे
# Highlights : 2018 तक कालाजार खत्म किया जाएगा
# Highlights : झारखंड और गुजरात में दो नए ऐम्स बनेंगे
# Highlights : उच्च शिक्षा में सुधार के लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी बनाई जाएगी
# Highlights : CBSE प्रवेश परिक्षा नहीं लेगी, प्रवेश परिक्षा के लिए अलग बॉडी बनेगी
# Highlights : ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता सुधारने पर जोर
# Highlights : सड़क योजना में रेकॉर्ड तेजी, पीएम ग्राम सड़क योजना के लिए 2019 तक 4 लाख करोड़ रुपये
# Highlights : अगले साल 1 मई तक देश के सभी गांवों तक बिजली पहुंचा दी जाएगी : वित्त मंत्री
# Highlights : प्रधानमंत्री अवास योजना के तहत 2019 तक एक करोड़ घर दिए जाएंगे
# Highlights : बापू की 150वीं जयंति पर 1 करोड़ परिवारों को गरीबी रेखा से बाहर लाया जाएगा.
# Highlights : मनरेगा में अब तक का सबसे ज्यादा 48 हजार करोड़ का फंड दिया जाएगा
# Highlights 39: 5000 करोड़ रुपये के साथ सिंचाई फंड स्थापित किया जाएगा.
# Highlights : नाबार्ड के तहत 8,000 करोड़ रुपये के फंड से डेयरी प्रसंस्करण इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड स्थापित किया जाएगा.
# Highlights : फसल बीमा साल 2017 में 30 की जगह 40%, जबकि 2018 में होगा: अरुण जेटली
# Highlights : किसानों को 10 लाख करोड़ का कर्ज देंगे: अरुण जेटली
# Highlights : बजट में गांवों के विकास पर ज्यादा फोकस : वित्त मंत्री अरुण जेटली
# Highlights : महंगाई दर रिजर्व बैंक की अनिवार्य सीमा 2 से 6 प्रतिशत के अंदर रहने की उम्मीद है: अरुण जेटली
# Highlights : भारत को वैश्विक विकास के इंजन की तरह देखा जा रहा है, जिसने एक साल ऐतिहासिक सुधार देखे हैं : जेटली
# Highlights : IMF ने 2016 में वैश्विक जीडीपी में 3.1% और 2017 में 3.4% वृद्धि का अनुमान लगाया है
# Highlights : FDI 36% बढ़ा, खाते का घाटा 0.3% से नीचे आया : जेटली
Facebook.com/CurrentAffairsIAS360

Wednesday, February 8, 2017

सातवां वेतन आयोग

7वाँ वेतन आयोग-
भारतवर्ष में वेतन आयोग बनने की परंपरा सन 1946-47 से प्रारंभ हुई ।पहले वेतन आयोग के चेयरमैन श्री Srinivasa Varadacharian थे। 2006 में छठा वेतन आयोग जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में बना ।7वाँ वेतन आयोग जस्टिस ए के माथुर की अध्यक्षता में बना।
वेतन आयोग की रिपोर्ट को वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग लागू करता है ।सातवां वेतन आयोग 1 जनवरी 2016 से लागू होगा। इससे वेतन में लगभग पहले से 24% की बढ़ोतरी देखी जाएगी। न्यूनतम वेतन 18000 प्रतिमाह(Dr. Aykrod formula workrd in FAO-UN before independence) तथा अधिकतम वेतन 2.25 lakhs(Cabinet Secretary-2.5 lakhs) होगा ।एनुअल इंक्रीमेंट 3% रहेगा ।
सातवें वेतन आयोग से राष्ट्रीय खजाने पर कुल 1.02 lakh crores का बोझ आएगा जोकि जीडीपी का .65% है।
हलाकि सातवें वेतन आयोग में आरबीआई के गवर्नर और मेंबर शामिल नहीं है। अभी गवर्नर को 1.98 लाख रुपए प्रतिमाह का वेतन मिलता है ।जस्टिस माथुर ने सुझाव दिया कि गवर्नर का वेतन 4.5 लाख रुपए प्रतिमाह तथा सदस्यों का 400000 रूपए प्रतिमाह होना चाहिए।
                      7वें वेतन आयोग के लाभार्थी:
1. वैधानिक नियामक संस्थाएं(excluding RBI)
2. केंद्र सरकार के कर्मचारी(  इंडस्ट्रियल ,नॉन इंडस्ट्रियल)
3. अखिल भारतीय सेवाएं
4. संघ राज्यक्षेत्र ,सुप्रीम कोर्ट ,ऑडिट एकाउंट्स के कार्मिक
5. पेंशनर(52 lakhs)
HRA( हाउस रेंट अलाउंस)- यह बेसिक पे का 8%, 16% या 24% हो सकता है।(depending on UR city)
सातवां वेतन आयोग लागू करने से महंगाई में कोई खास वृद्धि नहीं होगी ।हां यह जरूर है किHRA से CPI( उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) में .3% की बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
सातवें वेतन आयोग से महंगाई के न बढ़ने के कारण-
1. केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों को हाउस बिल्डिंग अलाउंस(HBA) मिलता है ।पहले यहां 7.5 लाख रुपया था। लेकिन माथुर ने इसे बढ़ाकर 2500000 रूपए कर दिया ।पहले केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को मोटर कार ,मोटर साइकिल इत्यादि खरीदने के लिए भी पैसे देती थी और व्यक्ति उसका इंटरेस्ट जमा करता रहता था लेकिन अब केवल मकान और कंप्यूटर खरीदने के लिए ही केंद्र सरकार पैसे देगी और किसी चीज पर पैसे नहीं मिलेंगे ।इससे जनता के हाथ में पैसे कम आएँगे और महंगाई नहीं बढ़ेगी।
2. जहां तक सप्लाई की बात है ।आने वाले दिनों में देश में सप्लाई भी बढ़ेगी क्योंकि ला नीना इफेक्ट आने वाला है और मानसून अच्छा रहेगा ।साथी साथ सरकार के मेक इन इंडिया, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, स्टार्ट अप इंडिया इत्यादि कार्यक्रम से भी सप्लाई साइट को बढ़ावा मिलेगा ।अतः डिमांड और सप्लाई में संतुलन बना रहेगा और महंगाई नहीं बढ़ेगी।
3. यह बात सही है कि 24% का वेतन में इजाफा होगा परंतु जनता टैक्स बचाने के लिए वित्तीय उत्पाद जरूर खरीदेगी । 52 प्रकार के अलाउंसेज खत्म कर दिए गए हैं ।ओवरटाइम  को भी खत्म कर दिया गया है ।कार्मिकों के इंस्योरेंस का प्रीमियम बढ़ा दिया गया है ।इंटरेस्ट फ्री एडवांस को भी खत्म कर दिया गया है ।अतः जनता के हाथ में पैसा कम रहेगा और महंगाई नहीं बढ़ेगी।
जहां तक प्राइवेट सेक्टर की बात है ऐसा नहीं है कि सतवां वेतन लगने से उनके भी वेतन में इजाफा होगा या प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां बढ़ेंगी क्योंकि देश में प्राइवेट सेक्टर में भी नौकरियों में भारी कमी है।

सिविल सर्विसेज के लिए सातवें वेतन आयोग के कुछ सुझाव:
1.अभी तक सिविल सर्विसेस मे आई ए एस को अन्य सभी सिविल सेवा के अधिकारियों से दो साल तेज पदोन्नति मिलती थी ।माथुर के अनुसार सिविल सर्विसेज में जिसकी भी सेवा 17 साल पूरी हो चुकी है उसको केंद्र के पद देने में एक जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए।
2.भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों को पदोन्नत के दौरान 3 % अतिरिक्त इंक्रीमेंट दिया जाता है ।माथुर के अनुसार IPS और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को भी अब से यह सुविधा मिलनी चाहिए।

यूनिफॉर्मड सर्विसेस के लिए सातवें वेतन आयोग के कुछ सुझाव:
1.यूनिफॉर्मड सर्विसेस के ऑफिसर अपनी सेवा के 7 से 10 वर्ष के भीतर वीआरएस ले सकते हैं ।उन्हें अच्छा पैकेज दिया जाएगा।
2.डिफेंस कार्मिकों को रिटायरमेंट के बाद सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेस में भर्ती किया जा सकता है।
3.सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेस के जवान को भी शहीद का दर्जा दिया जाए।
4.सियाचिन में तैनात हमारे जवाब जवानों का रिस्क हार्डसिप अलाउंसेज बढ़ाया जाए।
5.डिफेंस कार्मिकों के सैलरी में दोगुना बढ़ोतरी की जाए।
6.वन रैंक वन पेंशन को सिविल और डिफेंस दोनों सेक्टर में लागू किया जाए।

Tuesday, February 7, 2017

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह- भारत की सदस्यता में चीन एक रोड़ा

NSG(Nuclear Suppliers Group)-
स्थापना वर्ष -1974
सदस्य संख्या-48 (last- अर्जेंटीना,   2015)
NSG परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों का समूह है जो कि ऐसे परमाणु उपकरण ,मटेरियल और टेक्नोलॉजी के निर्यात पर रोक लगाता है जिसका प्रयोग परमाणु हथियार बनाने में होना है और इस प्रकार यह परमाणु प्रसार को रोकता है।

May 1974 को भारत ने जब अपना परमाणु परीक्षण किया तो इसके जवाब में Nuclear Suppliers Group का गठन किया गया और इनकी पहली बैठक जो है वो May 1975 में हुई | यह देखा गया कि nuclear technology  को  जनकल्याण और उर्जा प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जा सकता है वही यह युद्ध के लिए भयंकर परिणाम देने वाले हथियार बनाने में भी किया जा सकता है | ऐसे में ऐसे परमाणु हथियारों और nuclear technology  पर लगाम लगाना जरुरी है और ऐसा तभी संभव है जब इन से जुड़े साधनों के export और इम्पोर्ट पर लगाम लगाई जाएँ ऐसे में वो देश जिन्होंने NPT treaty पर sign किया हुआ है था यानि
Nuclear Non-Proliferation Treaty (NPT) संधि पर sign किये हुए थे उन्होंने इस पर बात विचार किया | जबकि इसमें शामिल एक देश ऐसा भी है जिसने NPT पर हस्ताक्षर नहीं किये है लेकिन फिर भी फ़्रांस को Nuclear Suppliers Group समूह में शामिल कर लिया गया |
NSG में शामिल देश परमाणु उपकरणों के निर्यात के लिए सहमत नियमों को क्रियान्वित भी करता है।

भारत 2008 से ही इसकी सदस्यता पाने के लिए कोशिश कर रहा है ।परंतु शुरुआती दौर में काफी देशों ने विरोध किया जैसे आस्ट्रेलिया ,मेक्सिको ,स्विजरलैंड ,चीन इत्यादि।

अमेरिका क्यों चाहता है कि भारत इसका सदस्य बने?
1968 में परमाणु अप्रसार संधि हुई थी। इस संधि में यह था कि जो परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र 1 जनवरी 1967 के पहले परमाणु परीक्षण कर चुके हैं वह इस संधि का हिस्सा हो सकते हैं । स्वाभाविक सी बात है तब भारत इसका हिस्सा नहीं हो सकता था क्योंकि भारत ने तब तक परमाणु परीक्षण नहीं किया था। 2006 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश भारत आए। उन्होंने भारत के साथ परमाणु व्यापार संबंध बनाने की कोशिश की परंतु चुकि भारत NSG का हिस्सा नहीं था अतः परमाणु टेक्नॉलॉजी ट्रांसफर नहीं की जा सकती थी।
बुश ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए 2008 में इंडो-यूएस सिविल न्यूक्लियर डील की और भारत ने भी अपने सैन्य परमाणु कार्यक्रम और सिविल परमाणु कार्यक्रम को अलग अलग करने की सहमति जताई। भारत ने अपने निर्यात के नियमों को NSG, MTCR, Wassenaar Arrangement, and Australia Group के अनुसार किया। अमेरिका के सहयोग के कारण भले ही भारत एनएसजी का सदस्य नहीं है लेकिन उसके साथ एनएसजी के सदस्य जैसा ही व्यवहार किया जाता है।

 भारत की एंट्री को लेकर चीन को क्या समस्या है?
चीन और कुछ अन्य देश यह कहते हैं कि क्योंकि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं अतः भारत इसका सदस्य परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों के लिए NSG में सदस्यता के लिए जो मापदंड है उस आधार पर बन सकता है ,न की सामान्य विधि से ।क्योंकि अगर भारत को सामान्य विधि से हमने सदस्य बना दिया तो और भी देश उसी प्रकार से एंट्री लेना चाहेंगे।

भारत ने एनएसजी की सदस्यता के लिए सियोल में हुई मीटिंग में अपना क्या पक्ष रखा?
भारत की ओर से कहा गया कि 2008 में भारत को NSG के देशों के साथ परमाणु व्यापार करने की छूट दी गई थी अतः भारत को अब NSG में सामान्य विधि से ही एंट्री दी जाए। भारत को उस समय यह छूट इसलिए दी गई थी क्योंकि उस समय  यूएस -चाइना संबंध काफी अच्छे थे ।परंतु आज दक्षिण चीन सागर में चीन की बदमाशी के कारण दोनों देश के संबंध काफी बिगड़ गए हैं और चीन एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहा है।