Tuesday, February 7, 2017

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह- भारत की सदस्यता में चीन एक रोड़ा

NSG(Nuclear Suppliers Group)-
स्थापना वर्ष -1974
सदस्य संख्या-48 (last- अर्जेंटीना,   2015)
NSG परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों का समूह है जो कि ऐसे परमाणु उपकरण ,मटेरियल और टेक्नोलॉजी के निर्यात पर रोक लगाता है जिसका प्रयोग परमाणु हथियार बनाने में होना है और इस प्रकार यह परमाणु प्रसार को रोकता है।

May 1974 को भारत ने जब अपना परमाणु परीक्षण किया तो इसके जवाब में Nuclear Suppliers Group का गठन किया गया और इनकी पहली बैठक जो है वो May 1975 में हुई | यह देखा गया कि nuclear technology  को  जनकल्याण और उर्जा प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जा सकता है वही यह युद्ध के लिए भयंकर परिणाम देने वाले हथियार बनाने में भी किया जा सकता है | ऐसे में ऐसे परमाणु हथियारों और nuclear technology  पर लगाम लगाना जरुरी है और ऐसा तभी संभव है जब इन से जुड़े साधनों के export और इम्पोर्ट पर लगाम लगाई जाएँ ऐसे में वो देश जिन्होंने NPT treaty पर sign किया हुआ है था यानि
Nuclear Non-Proliferation Treaty (NPT) संधि पर sign किये हुए थे उन्होंने इस पर बात विचार किया | जबकि इसमें शामिल एक देश ऐसा भी है जिसने NPT पर हस्ताक्षर नहीं किये है लेकिन फिर भी फ़्रांस को Nuclear Suppliers Group समूह में शामिल कर लिया गया |
NSG में शामिल देश परमाणु उपकरणों के निर्यात के लिए सहमत नियमों को क्रियान्वित भी करता है।

भारत 2008 से ही इसकी सदस्यता पाने के लिए कोशिश कर रहा है ।परंतु शुरुआती दौर में काफी देशों ने विरोध किया जैसे आस्ट्रेलिया ,मेक्सिको ,स्विजरलैंड ,चीन इत्यादि।

अमेरिका क्यों चाहता है कि भारत इसका सदस्य बने?
1968 में परमाणु अप्रसार संधि हुई थी। इस संधि में यह था कि जो परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र 1 जनवरी 1967 के पहले परमाणु परीक्षण कर चुके हैं वह इस संधि का हिस्सा हो सकते हैं । स्वाभाविक सी बात है तब भारत इसका हिस्सा नहीं हो सकता था क्योंकि भारत ने तब तक परमाणु परीक्षण नहीं किया था। 2006 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश भारत आए। उन्होंने भारत के साथ परमाणु व्यापार संबंध बनाने की कोशिश की परंतु चुकि भारत NSG का हिस्सा नहीं था अतः परमाणु टेक्नॉलॉजी ट्रांसफर नहीं की जा सकती थी।
बुश ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए 2008 में इंडो-यूएस सिविल न्यूक्लियर डील की और भारत ने भी अपने सैन्य परमाणु कार्यक्रम और सिविल परमाणु कार्यक्रम को अलग अलग करने की सहमति जताई। भारत ने अपने निर्यात के नियमों को NSG, MTCR, Wassenaar Arrangement, and Australia Group के अनुसार किया। अमेरिका के सहयोग के कारण भले ही भारत एनएसजी का सदस्य नहीं है लेकिन उसके साथ एनएसजी के सदस्य जैसा ही व्यवहार किया जाता है।

 भारत की एंट्री को लेकर चीन को क्या समस्या है?
चीन और कुछ अन्य देश यह कहते हैं कि क्योंकि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं अतः भारत इसका सदस्य परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों के लिए NSG में सदस्यता के लिए जो मापदंड है उस आधार पर बन सकता है ,न की सामान्य विधि से ।क्योंकि अगर भारत को सामान्य विधि से हमने सदस्य बना दिया तो और भी देश उसी प्रकार से एंट्री लेना चाहेंगे।

भारत ने एनएसजी की सदस्यता के लिए सियोल में हुई मीटिंग में अपना क्या पक्ष रखा?
भारत की ओर से कहा गया कि 2008 में भारत को NSG के देशों के साथ परमाणु व्यापार करने की छूट दी गई थी अतः भारत को अब NSG में सामान्य विधि से ही एंट्री दी जाए। भारत को उस समय यह छूट इसलिए दी गई थी क्योंकि उस समय  यूएस -चाइना संबंध काफी अच्छे थे ।परंतु आज दक्षिण चीन सागर में चीन की बदमाशी के कारण दोनों देश के संबंध काफी बिगड़ गए हैं और चीन एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहा है।

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