सरकार PF (provident fund भविष्य निधि) में दिए जाने वाले ब्याज दर को 8.8 से घटाकर 8.6 % करने जा रही है।
आज हम इसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के बारे में देखेंगे।
सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम का उद्देश्य कर्मचारी और उसके परिवार को स्वास्थ्य और कार्य संबंधित समस्याओं से बचाना है। जैसे यदि व्यक्ति बीमार हो गया ,महिला कर्मचारी मां बनने वाली है तो उसको उपचार उपलब्ध कराया जाता है। यदि व्यक्ति काम करते हुए किसी दुर्घटना में उसके हाथ या पैर चले गए हो तो सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत उसका पुनर्वास कराया जाता है ।जैसे उसे कृतिम हाथ या पैर लगवा दिए जाते हैं इत्यादि इत्यादि ।यदि व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है या नौकरी चली जाती है तो उसे कंपनसेशन दिया जाता है।
यदि सरकार सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम को नहीं ले जाती तो व्यक्ति की गरिमा को खतरा हो जाता ,अपराध और बढ़ जाते , बाल श्रम की समस्या हो जाती, लोग अभाव की जिंदगी जीते, वेश्यावृत्ति बढ़ जाती।
सामाजिक सुरक्षा का इतिहास- सर्वप्रथम विश्व में सामाजिक सुरक्षा के बारे में बताने वाले सर विलियम बेवरिज थे ।1942 में इन्होंने सामाजिक insurance पर अपनी रिपोर्ट दी ।1945 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने इनकी रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और तब से ब्रिटेन में सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम लागू हो गया।
भारत में सन 1944 में B P ADARKAR करने सामाजिक सुरक्षा स्कीम के लिए रिपोर्ट दी ।सरदार पटेल ने उनकी इस उपलब्धि के लिए उनको छोटा वेबरेज कहकर पुकारा।
भारत में 1948 में ADARKAR की रिपोर्ट पर आधारित इंप्लाइज स्टेट इंश्योरेंस अधिनियम 1948 बनाया गया। इसके तहत इंप्लाइज स्टेट insurance कॉरपोरेशन की स्थापना की गई ।स्वाभाविक सी बात है या एक वैधानिक संस्था होगी। भारत में 24 फरवरी 1952 से इंप्लाइस स्टेट इंश्योरेंस स्कीम लागू हो गई।(as such date wate अगर नहीं याद रहता है तो कोई बात नहीं ।यूपीएससी के लिए यह काम का नहीं है)
EPFO( एंप्लाइज प्रोविडेंट फंड आर्गेनाईजेशन)-
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन- 1951 में इसके लिए अध्यादेश लाया गया और 1952 में इसे कानून का रुप दिया गया (जम्मू कश्मीर को छोड़कर)
यह केंद्र सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत आता है ।इसमें तीन पार्टी का बोर्ड होता है और तीन तरह की स्कीमें होती हैं।तीन पार्टी के बोर्ड में एक पार्टी सरकार होती है जिसमें 15 मेंबर होते हैं ।दूसरी पार्टी मालिक लोग की होती है इसमें 10 मेंबर होते हैं तथा तीसरी पार्टी कर्मचारी की होती है जिस में भी 10 मेंबर होते हैं ।यह संचित निधि ,पेंशन और जमा हुई राशियों पर इंस्योरेंस संबंधी स्कीमें निकालते हैं।
ईपीएफओ कैसे काम करता है ?
इसको हम ऐसे समझ सकते हैं कि मान लीजिए एक खोखा है, उसको खोखे में कर्मचारी और मालिक दोनों पैसा डालते हैं। जिस भी कर्मचारी की तनख्वाह 15000 से कम होगी ,वह अपने बेसिक सैलरी का 12% खोखे में डालेगा और उतना ही उसका मालिक भी डालेगा ।कर्मचारी को UAN नंबर(universal account number) प्रदान किया जाता है यह नंबर का फायदा है कि यदि कर्मचारी पहली नौकरी छोड़ कर कहीं दूसरी जगह काम करने लग तो भी उसका UAN नंबर एक ही रहेगा ,उसका पैसा उस खाते में आता रहेगा।
वहीं दूसरी और मालिक को LIN (Labour identification number) नंबर प्रदान किया जाता है ।इसके लिए मोदी सरकार के श्रम सुविधा पोर्टल भी लॉन्च किया है।
इस प्रकार खोखे में जो पैसा आया ,उसका निवेश कहां करना है इसका निर्णय वो 3 पार्टी वाला बोर्ड करेगा। चुकि कर्मचारी इसमें अपना पैसा डालता है ,अतः उसको वार्षिक व्याज 8.75 की दर से इस साल मिल रहा है जिसे कल के अखबारों के मुताबिक घटाकर 8.6 प्रतिशत करने का प्रावधान है।
जो पैसा खोखे में आ रहा है उसका निवेश अभी तो गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में हो रहा है लेकिन इकनोमिक सर्वे का कहना है कि यह निवेश लंबे समय वाले आधारभूत संरचना वित्त जैसे NHAI इत्यादि में करना चाहिए। इससे लोगों को ब्याज ज्यादा मिलेगा ।सरकार ने सर्वे की बात नहीं मानी जिस का नुकसान अब उठाना पड़ रहा है। मोदी जी ने कहा है कि जो भी व्यक्ति इस योजना में अपना निवेश करता है उसे प्रतिमाह ₹1000 पेंशन दिया जाएगा। आर्थिक सर्वे के मुताबिक निवेश का 5% एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में भी डालना है। उससे 8.75% से ज्यादे ब्याज दर होगी।
NPS( नई पेंशन योजना, न्यू पेंशन स्कीम) -
यह 18 से 60 वर्ष तक के लोगों के लिए है।
यह योजना 1 जनवरी 2004 से लागू की गई है। इसके अनुसार केंद्र सरकार के सारे कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 10% DA सहित जमा करेंगे तथा सरकार भी उतना ही पैसा अपनी ओर जमा करेगी। सैन्य सेवा के कर्मचारियों के लिए यह अनिवार्य नहीं है।इसे पीएफआरडीए द्वारा संचालित किया जाएगा जिसे 2013 में कानून बनाकर वैधानिक संस्था का रूप दे दिया गया तथा 2014 से कानून लागू हो गया। इसमें खास बात यह है कि केंद्र सरकार के कर्मचारी इस योजना में तो भाग ले ही सकते हैं साथ ही साथ Self employed लोगभी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं ।इसके तहत कर्मचारी को PRAN(PERMANENT RETIREMENT ACCOUNT NUMBER) नंबर दिया जाएगा।
इसमें शर्त यह है कि यदि आप पैसा रिटायरमेंट से पहले नहीं निकालते हैं तो आपको टैक्स लाभ दिया जाएगा ।परंतु यदि निकाल लेते हैं तो वह टैक्स लाभ नहीं मिलेगा।
नई पेंशन स्कीम कॉरपोरेट के लिए भी लागू होती है ।सन 2009 से प्रत्येक भारतीय नागरिक स्वेच्छा से इस में भाग ले सकता है।
सन 2010 में असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए स्वावलंबन योजना लाई गई
नई पेंशन योजना में 80 लाख लोग शामिल हो चुके हैं ।2 राज्य सरकारों को छोड़कर बाकी सारी राज्य सरकारों ने इसे लागू कर दिया है परंतु अब नए लोग मिल नहीं रहे ऐसा क्यों?
दरअसल बात क्या है कि EPF और PPF में तीनों स्टेज अर्थात पैसा जमा करने पर ,निवेश की गई राशि पर पाए हुए ब्याज पर और maturity के समय पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगता था।परंतु नई पेंशन योजना में पहले दो स्टेज पर तो इनकम टैक्स नहीं लगेगा परंतु आखिरी स्टेज पर इनकम टैक्स लगेगा। अतः अब नए लोग मिल नहीं रहे हैं
अटल पेंशन योजना- यह योजना 2015 में लागू की गई ।यह 18 से 40 वर्ष तक के लोगों के लिए है ।60वर्ष बाद व्यक्ति को पेंशन मिलना शुरू होगा। 60 वर्ष से पहले पैसा निकालने पर प्रतिबंध है । यह मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए है ।इसे पीएफआरडीए क्रियान्वित करता है ।पैसा बैंक से ऑटो डेबिट हो जाएगा ।आपके योगदान के अनुसार 60वर्ष बाद ₹1000 ₹2000 ₹3000 ₹4000 और अधिकतम ₹5000 तक का पेंशन दिया जायेगा। इसमें अभिदाता की मृत्यु के पश्चात जीवन साथी को आजीवन पेंशन की समान राशि की गारंटी रहती है ।शुरू के 5 साल तक आप जितना भी पैसा डालेंगे ,सरकार भी उतना पैसा आपके अकाउंट में अपनी ओर से भी जमा कराती रहेगी। इस योजना को 2010 में कांग्रेस सरकार ने स्वावलंबन के नाम से शुरू किया था। मोदी जी ने यह कहा कि जो व्यक्ति स्वालंबन योजना के अभिदाता हैं और वह इस योजना में नहीं आना चाहते हैं तो कोई बात नहीं ,वह पुरानी योजना को ही जारी रख सकते हैं
आज हम इसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के बारे में देखेंगे।
सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम का उद्देश्य कर्मचारी और उसके परिवार को स्वास्थ्य और कार्य संबंधित समस्याओं से बचाना है। जैसे यदि व्यक्ति बीमार हो गया ,महिला कर्मचारी मां बनने वाली है तो उसको उपचार उपलब्ध कराया जाता है। यदि व्यक्ति काम करते हुए किसी दुर्घटना में उसके हाथ या पैर चले गए हो तो सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत उसका पुनर्वास कराया जाता है ।जैसे उसे कृतिम हाथ या पैर लगवा दिए जाते हैं इत्यादि इत्यादि ।यदि व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है या नौकरी चली जाती है तो उसे कंपनसेशन दिया जाता है।
यदि सरकार सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम को नहीं ले जाती तो व्यक्ति की गरिमा को खतरा हो जाता ,अपराध और बढ़ जाते , बाल श्रम की समस्या हो जाती, लोग अभाव की जिंदगी जीते, वेश्यावृत्ति बढ़ जाती।
सामाजिक सुरक्षा का इतिहास- सर्वप्रथम विश्व में सामाजिक सुरक्षा के बारे में बताने वाले सर विलियम बेवरिज थे ।1942 में इन्होंने सामाजिक insurance पर अपनी रिपोर्ट दी ।1945 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने इनकी रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और तब से ब्रिटेन में सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम लागू हो गया।
भारत में सन 1944 में B P ADARKAR करने सामाजिक सुरक्षा स्कीम के लिए रिपोर्ट दी ।सरदार पटेल ने उनकी इस उपलब्धि के लिए उनको छोटा वेबरेज कहकर पुकारा।
भारत में 1948 में ADARKAR की रिपोर्ट पर आधारित इंप्लाइज स्टेट इंश्योरेंस अधिनियम 1948 बनाया गया। इसके तहत इंप्लाइज स्टेट insurance कॉरपोरेशन की स्थापना की गई ।स्वाभाविक सी बात है या एक वैधानिक संस्था होगी। भारत में 24 फरवरी 1952 से इंप्लाइस स्टेट इंश्योरेंस स्कीम लागू हो गई।(as such date wate अगर नहीं याद रहता है तो कोई बात नहीं ।यूपीएससी के लिए यह काम का नहीं है)
EPFO( एंप्लाइज प्रोविडेंट फंड आर्गेनाईजेशन)-
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन- 1951 में इसके लिए अध्यादेश लाया गया और 1952 में इसे कानून का रुप दिया गया (जम्मू कश्मीर को छोड़कर)
यह केंद्र सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत आता है ।इसमें तीन पार्टी का बोर्ड होता है और तीन तरह की स्कीमें होती हैं।तीन पार्टी के बोर्ड में एक पार्टी सरकार होती है जिसमें 15 मेंबर होते हैं ।दूसरी पार्टी मालिक लोग की होती है इसमें 10 मेंबर होते हैं तथा तीसरी पार्टी कर्मचारी की होती है जिस में भी 10 मेंबर होते हैं ।यह संचित निधि ,पेंशन और जमा हुई राशियों पर इंस्योरेंस संबंधी स्कीमें निकालते हैं।
ईपीएफओ कैसे काम करता है ?
इसको हम ऐसे समझ सकते हैं कि मान लीजिए एक खोखा है, उसको खोखे में कर्मचारी और मालिक दोनों पैसा डालते हैं। जिस भी कर्मचारी की तनख्वाह 15000 से कम होगी ,वह अपने बेसिक सैलरी का 12% खोखे में डालेगा और उतना ही उसका मालिक भी डालेगा ।कर्मचारी को UAN नंबर(universal account number) प्रदान किया जाता है यह नंबर का फायदा है कि यदि कर्मचारी पहली नौकरी छोड़ कर कहीं दूसरी जगह काम करने लग तो भी उसका UAN नंबर एक ही रहेगा ,उसका पैसा उस खाते में आता रहेगा।
वहीं दूसरी और मालिक को LIN (Labour identification number) नंबर प्रदान किया जाता है ।इसके लिए मोदी सरकार के श्रम सुविधा पोर्टल भी लॉन्च किया है।
इस प्रकार खोखे में जो पैसा आया ,उसका निवेश कहां करना है इसका निर्णय वो 3 पार्टी वाला बोर्ड करेगा। चुकि कर्मचारी इसमें अपना पैसा डालता है ,अतः उसको वार्षिक व्याज 8.75 की दर से इस साल मिल रहा है जिसे कल के अखबारों के मुताबिक घटाकर 8.6 प्रतिशत करने का प्रावधान है।
जो पैसा खोखे में आ रहा है उसका निवेश अभी तो गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में हो रहा है लेकिन इकनोमिक सर्वे का कहना है कि यह निवेश लंबे समय वाले आधारभूत संरचना वित्त जैसे NHAI इत्यादि में करना चाहिए। इससे लोगों को ब्याज ज्यादा मिलेगा ।सरकार ने सर्वे की बात नहीं मानी जिस का नुकसान अब उठाना पड़ रहा है। मोदी जी ने कहा है कि जो भी व्यक्ति इस योजना में अपना निवेश करता है उसे प्रतिमाह ₹1000 पेंशन दिया जाएगा। आर्थिक सर्वे के मुताबिक निवेश का 5% एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में भी डालना है। उससे 8.75% से ज्यादे ब्याज दर होगी।
NPS( नई पेंशन योजना, न्यू पेंशन स्कीम) -
यह 18 से 60 वर्ष तक के लोगों के लिए है।
यह योजना 1 जनवरी 2004 से लागू की गई है। इसके अनुसार केंद्र सरकार के सारे कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी का 10% DA सहित जमा करेंगे तथा सरकार भी उतना ही पैसा अपनी ओर जमा करेगी। सैन्य सेवा के कर्मचारियों के लिए यह अनिवार्य नहीं है।इसे पीएफआरडीए द्वारा संचालित किया जाएगा जिसे 2013 में कानून बनाकर वैधानिक संस्था का रूप दे दिया गया तथा 2014 से कानून लागू हो गया। इसमें खास बात यह है कि केंद्र सरकार के कर्मचारी इस योजना में तो भाग ले ही सकते हैं साथ ही साथ Self employed लोगभी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं ।इसके तहत कर्मचारी को PRAN(PERMANENT RETIREMENT ACCOUNT NUMBER) नंबर दिया जाएगा।
इसमें शर्त यह है कि यदि आप पैसा रिटायरमेंट से पहले नहीं निकालते हैं तो आपको टैक्स लाभ दिया जाएगा ।परंतु यदि निकाल लेते हैं तो वह टैक्स लाभ नहीं मिलेगा।
नई पेंशन स्कीम कॉरपोरेट के लिए भी लागू होती है ।सन 2009 से प्रत्येक भारतीय नागरिक स्वेच्छा से इस में भाग ले सकता है।
सन 2010 में असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए स्वावलंबन योजना लाई गई
नई पेंशन योजना में 80 लाख लोग शामिल हो चुके हैं ।2 राज्य सरकारों को छोड़कर बाकी सारी राज्य सरकारों ने इसे लागू कर दिया है परंतु अब नए लोग मिल नहीं रहे ऐसा क्यों?
दरअसल बात क्या है कि EPF और PPF में तीनों स्टेज अर्थात पैसा जमा करने पर ,निवेश की गई राशि पर पाए हुए ब्याज पर और maturity के समय पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगता था।परंतु नई पेंशन योजना में पहले दो स्टेज पर तो इनकम टैक्स नहीं लगेगा परंतु आखिरी स्टेज पर इनकम टैक्स लगेगा। अतः अब नए लोग मिल नहीं रहे हैं
अटल पेंशन योजना- यह योजना 2015 में लागू की गई ।यह 18 से 40 वर्ष तक के लोगों के लिए है ।60वर्ष बाद व्यक्ति को पेंशन मिलना शुरू होगा। 60 वर्ष से पहले पैसा निकालने पर प्रतिबंध है । यह मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए है ।इसे पीएफआरडीए क्रियान्वित करता है ।पैसा बैंक से ऑटो डेबिट हो जाएगा ।आपके योगदान के अनुसार 60वर्ष बाद ₹1000 ₹2000 ₹3000 ₹4000 और अधिकतम ₹5000 तक का पेंशन दिया जायेगा। इसमें अभिदाता की मृत्यु के पश्चात जीवन साथी को आजीवन पेंशन की समान राशि की गारंटी रहती है ।शुरू के 5 साल तक आप जितना भी पैसा डालेंगे ,सरकार भी उतना पैसा आपके अकाउंट में अपनी ओर से भी जमा कराती रहेगी। इस योजना को 2010 में कांग्रेस सरकार ने स्वावलंबन के नाम से शुरू किया था। मोदी जी ने यह कहा कि जो व्यक्ति स्वालंबन योजना के अभिदाता हैं और वह इस योजना में नहीं आना चाहते हैं तो कोई बात नहीं ,वह पुरानी योजना को ही जारी रख सकते हैं
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