BREXIT-(Britain Exit)
यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने की प्रक्रिया को BREXIT कहा गया। ब्रिटेन में जून 2016 में जनमत संग्रह कराया गया जिसमें 52 प्रतिशत लोगों ने ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग होने के पक्ष में वोट दिया। आज सितम्बर 2016 चल रहा है लेकिन ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग होने के लिए न तो कोई समय निर्धारित हुआ है न कोई शर्त निर्धारित है। अगर इस समय की बात करें तो ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन का सदस्य बना हुआ है।
2007 में यूरोपियन यूनियन के देशों के बीच एक संधि हुई थी। उस संधि के अनुच्छेद 50 के तहत यूरोपियन यूनियन का ब्रिटेन से निकलना वैध माना जा रहा है। ब्रिटेन में जनमत संग्रह के तुरंत बाद यूरोपियन यूनियन से निकलने की आधिकारिक रुप से घोषणा नहीं की है ।लेकिन जब आधिकारिक रुप से घोषणा हो जाएगी उसके बाद आर्टिकल 50 के तहत ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग होने में 2 वर्ष का समय लग जाएगा क्योंकि प्रक्रिया लंबी है और कोई देश इस प्रकार पहली बार यूरोपियन यूनियन से अलग हो रहा है।
आखिर क्यों अलग होना चाहता है ब्रिटेन EU से?
1. ब्रिटेन का कहना है कि उसको यूरोपियन यूनियन को प्रत्येक सप्ताह करोड़ों पाउंड दे देने पड़ते हैं जिससे ब्रिटेन का नुकसान होता है।
2. ब्रिटेन का कहना है कि यूरोपीय संसद का नौकरशाही रवैया ब्रिटिश निर्यातकों के लिए दुखदायक है।
3. ब्रिटेन का यह भी कहना है कि यूरोप से ब्रिटेन में जो निरंतर प्रवास हो रहा है उससे ब्रिटिश सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाएं असंतुलित हो जा रही हैं।
इन सब कारणों से ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से बाहर निकलना चाहता है।
परंतु बहुत से लोग यह भी कहते हैं कि ब्रिटेन जितना यूरोपियन यूनियन को दे नहीं देता, उससे ज्यादा तो वह यूरोपियन यूनियन से पैसा पा जा रहा है। बहुत सी ब्रिटिश कंपनियां यूरोप में प्रवेश कर अपना व्यापार कर रही हैं।
भारत पर BREXIT का क्या प्रभाव पड़ेगा?
1. एक बड़ी समस्या यह है कि BREXIT होने के बाद यूरोपियन यूनियन और ब्रिटेन के संबंध कैसे होंगे ,इसका कोई रोड मैप अभी तक तैयार नहीं किया गया है ।पुख्ता तौर पर यह भी नहीं पता कि क्या ब्रिटिश कंपनियां BREXIT के बाद यूरोपियन यूनियन में जाना जारी रखेंगे। मान लीजिए अगर जाना जारी भी रखते हैं तो क्या ट्रेड बैरियर बढ़ा दिया जाएगा। यह सब कुछ ऐसे प्रश्न है जिनके उत्तर अभी अनुपलब्ध है जो कि भारत क्या, विश्व की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डाल सकते हैं।
2. अभी के लिए ब्रिटेन में दूसरा सबसे ज्यादा एफडीआई भारत से आता है भारत की कंपनियां ब्रिटेन में जाती हैं और माल तैयार करके FTP के द्वारा यूरोपियन यूनियन में सप्लाई करती हैं।
BREXIT के बाद भारतीय कंपनियों का ब्रिटेन की तरफ रुझान कम हो सकता है ।लेकिन ब्रिटेन का कहना है कि हम भारत से आनेवाले FDI को कम नहीं होने देंगे। तो हम समझ सकते हैं कि ब्रिटेन भारतीय कंपनियों को टैक्स में लाभ, कम नियम कानून इत्यादि सुविधाएं जरुर देगा जोकि भारत के लिए एक अच्छी बात है। लेकिन यदि यूरोपियन यूनियन से जटिल नौकरशाही संरचना के कारण अलग हो रहा है तो हम यहां आशा कर सकते हैं कि ब्रिटेन अपने नियम कानून को जटिल नहीं रखेगा जिससे भारतीय कंपनियों को फायदा होगा।
3. भारत BREXIT के बाद यूरोपियन यूनियन के अन्य देशों में प्रवेश नहीं मिलेगा ।अतः भारत को अभी से इन देशों के साथ व्यापार समझौते कर लेना चाहिए। हालांकि भारत नीदरलैंड, फ्रांस, जर्मनी इत्यादि देशों के साथ व्यापार समझौता किया है।
जिसे भारत को अब और बढ़ा देना चाहिए। भारत की सबसे ज्यादा एफडीआई नीदरलैंड में जाती है।
4. चाहे BREXIT के पहले और चाहे BREXIT के बाद, यह यूरोप का गर्ज है कि वह भारत के साथ व्यापारिक और सामरिक संबंध अच्छे बनाए। BREXIT के बाद अमेरिका और चीन को बैलेंस करने के लिए यूरोप को ऐसा करना ही पड़ेगा क्योंकि भारत की अर्थव्यस्था इस समय विश्व की सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है।
5. BREXIT होने के बाद ब्रिटेन को नए ट्रेड पाटनर ढूंढने होंगे ।वह कॉमनवेल्थ राष्ट्रों को अपने नए ट्रेड पार्टनर के रुप में ले सकता है।
6. ब्रिटेन अभी अपने यहां के और यूरोपियन यूनियन के छात्रों को शिक्षा में सब्सिडी देता है ।BREXIT के बाद यह सब्सिडी यूरोपियन यूनियन के लिए बंद हो जाएगी। चुकि भारत के बहुत से छात्र ब्रिटेन पढ़ने जाते हैं तो हम आशा करते हैं कि उन्हें यह सब्सिडी दी जा सकती है जोकि भारत के लिए एक अच्छी बात होगी।
यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने की प्रक्रिया को BREXIT कहा गया। ब्रिटेन में जून 2016 में जनमत संग्रह कराया गया जिसमें 52 प्रतिशत लोगों ने ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग होने के पक्ष में वोट दिया। आज सितम्बर 2016 चल रहा है लेकिन ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग होने के लिए न तो कोई समय निर्धारित हुआ है न कोई शर्त निर्धारित है। अगर इस समय की बात करें तो ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन का सदस्य बना हुआ है।
2007 में यूरोपियन यूनियन के देशों के बीच एक संधि हुई थी। उस संधि के अनुच्छेद 50 के तहत यूरोपियन यूनियन का ब्रिटेन से निकलना वैध माना जा रहा है। ब्रिटेन में जनमत संग्रह के तुरंत बाद यूरोपियन यूनियन से निकलने की आधिकारिक रुप से घोषणा नहीं की है ।लेकिन जब आधिकारिक रुप से घोषणा हो जाएगी उसके बाद आर्टिकल 50 के तहत ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग होने में 2 वर्ष का समय लग जाएगा क्योंकि प्रक्रिया लंबी है और कोई देश इस प्रकार पहली बार यूरोपियन यूनियन से अलग हो रहा है।
आखिर क्यों अलग होना चाहता है ब्रिटेन EU से?
1. ब्रिटेन का कहना है कि उसको यूरोपियन यूनियन को प्रत्येक सप्ताह करोड़ों पाउंड दे देने पड़ते हैं जिससे ब्रिटेन का नुकसान होता है।
2. ब्रिटेन का कहना है कि यूरोपीय संसद का नौकरशाही रवैया ब्रिटिश निर्यातकों के लिए दुखदायक है।
3. ब्रिटेन का यह भी कहना है कि यूरोप से ब्रिटेन में जो निरंतर प्रवास हो रहा है उससे ब्रिटिश सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाएं असंतुलित हो जा रही हैं।
इन सब कारणों से ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से बाहर निकलना चाहता है।
परंतु बहुत से लोग यह भी कहते हैं कि ब्रिटेन जितना यूरोपियन यूनियन को दे नहीं देता, उससे ज्यादा तो वह यूरोपियन यूनियन से पैसा पा जा रहा है। बहुत सी ब्रिटिश कंपनियां यूरोप में प्रवेश कर अपना व्यापार कर रही हैं।
भारत पर BREXIT का क्या प्रभाव पड़ेगा?
1. एक बड़ी समस्या यह है कि BREXIT होने के बाद यूरोपियन यूनियन और ब्रिटेन के संबंध कैसे होंगे ,इसका कोई रोड मैप अभी तक तैयार नहीं किया गया है ।पुख्ता तौर पर यह भी नहीं पता कि क्या ब्रिटिश कंपनियां BREXIT के बाद यूरोपियन यूनियन में जाना जारी रखेंगे। मान लीजिए अगर जाना जारी भी रखते हैं तो क्या ट्रेड बैरियर बढ़ा दिया जाएगा। यह सब कुछ ऐसे प्रश्न है जिनके उत्तर अभी अनुपलब्ध है जो कि भारत क्या, विश्व की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डाल सकते हैं।
2. अभी के लिए ब्रिटेन में दूसरा सबसे ज्यादा एफडीआई भारत से आता है भारत की कंपनियां ब्रिटेन में जाती हैं और माल तैयार करके FTP के द्वारा यूरोपियन यूनियन में सप्लाई करती हैं।
BREXIT के बाद भारतीय कंपनियों का ब्रिटेन की तरफ रुझान कम हो सकता है ।लेकिन ब्रिटेन का कहना है कि हम भारत से आनेवाले FDI को कम नहीं होने देंगे। तो हम समझ सकते हैं कि ब्रिटेन भारतीय कंपनियों को टैक्स में लाभ, कम नियम कानून इत्यादि सुविधाएं जरुर देगा जोकि भारत के लिए एक अच्छी बात है। लेकिन यदि यूरोपियन यूनियन से जटिल नौकरशाही संरचना के कारण अलग हो रहा है तो हम यहां आशा कर सकते हैं कि ब्रिटेन अपने नियम कानून को जटिल नहीं रखेगा जिससे भारतीय कंपनियों को फायदा होगा।
3. भारत BREXIT के बाद यूरोपियन यूनियन के अन्य देशों में प्रवेश नहीं मिलेगा ।अतः भारत को अभी से इन देशों के साथ व्यापार समझौते कर लेना चाहिए। हालांकि भारत नीदरलैंड, फ्रांस, जर्मनी इत्यादि देशों के साथ व्यापार समझौता किया है।
जिसे भारत को अब और बढ़ा देना चाहिए। भारत की सबसे ज्यादा एफडीआई नीदरलैंड में जाती है।
4. चाहे BREXIT के पहले और चाहे BREXIT के बाद, यह यूरोप का गर्ज है कि वह भारत के साथ व्यापारिक और सामरिक संबंध अच्छे बनाए। BREXIT के बाद अमेरिका और चीन को बैलेंस करने के लिए यूरोप को ऐसा करना ही पड़ेगा क्योंकि भारत की अर्थव्यस्था इस समय विश्व की सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है।
5. BREXIT होने के बाद ब्रिटेन को नए ट्रेड पाटनर ढूंढने होंगे ।वह कॉमनवेल्थ राष्ट्रों को अपने नए ट्रेड पार्टनर के रुप में ले सकता है।
6. ब्रिटेन अभी अपने यहां के और यूरोपियन यूनियन के छात्रों को शिक्षा में सब्सिडी देता है ।BREXIT के बाद यह सब्सिडी यूरोपियन यूनियन के लिए बंद हो जाएगी। चुकि भारत के बहुत से छात्र ब्रिटेन पढ़ने जाते हैं तो हम आशा करते हैं कि उन्हें यह सब्सिडी दी जा सकती है जोकि भारत के लिए एक अच्छी बात होगी।
Awesome 😊 😊 😊 😊 😊 explanation of Brexit
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