तापीय ऊर्जा -सर्वप्रथम 1897 में दार्जिलिंग में विद्युत का उत्पादन शुरू हुआ। सन् 1902 में कर्नाटक के शिवसमुद्रम में जल विद्युत परियोजना का प्रारंभ हुआ ।पंचवर्षीय योजना के तहत् राज्य विद्युत बोर्ड का गठन हुआ।सन् 2003 में विद्युत अधिनियम बना जिसके तहत केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण का गठन किया गया ।
विद्युत के बारे में थोड़ा संवेधानिक पहलुओं को भी देख लेते हैं-
अनुच्छेद 287 के तहत् तक विद्युत के बिक्री पर राज्य सरकारें टैक्स मांग सकती है लेकिन यदि विद्युत की बिक्री रेलवे या केंद्र सरकार के किसी विभाग में हो रही हो तब राज्य सरकार को टैक्स मांगने का हक नहीं बनता। ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए पंचायती राज संस्थाएं उत्तरदायी होंगी।
विद्युत मंत्रालय के संगठन-
विद्युत मंत्रालय में दो जॉइंट वेंचर हैं।
1. सतलज जल विद्युत और नाफ्था जारकी प्रोजेक्ट (हिमाचल प्रदेश में )
2. टिहरी हाइड्रो -उत्तराखंड प्रोजेक्ट
विद्युत मंत्रालय में तीन वैधानिक संस्थाएं भी हैं।
1.दामोदर घाटी निगम
2.भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड
3.ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी
विद्युत मंत्रालय में कई एनबीएफसी पीएसयू इत्यादि भी हैं जैसे ग्रामीण विद्युतीकरण बोर्ड ,पावर ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ,पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन इत्यादि।
विद्युत मंत्रालय के तहत कई पीएसयू भी है जैसे NTPC,NHPC ,पावर ग्रिड, NE इत्यादि
विद्युत से संबंधित pm मोदी की योजनाएं-
1. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना -यह योजना बजट 2014 में लाया गया था। इसके तहत 1 मई 2018 तक भारत के पूरे गांव में बिजली प्रदान करना है ।
2. इसके बाद दिसंबर 2014 में इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम लाई गई। इसके तहत सब ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को मजबूत करना है।
3. जनवरी 2015 में राष्ट्रीय एलईडी प्रोग्राम लाया गया जिसके तहत स्ट्रीट लाइट्स, घरेलू लाइट हर जगह LED का इस्तेमाल करना होगा ।आप समझ सकते हैं कि इससे जो हमने पेरिस जलवायु समझौता में कहा था कि हम 2030 तक जीडीपी की उत्सर्जन झमता 30 से 35 परसेंट तक कम कर देंगे तो अगर यह योजना सफल हो जाती है तो जो हमने पेरिस में कहा था वो भी सफल हो जाएगा।
4. नवंबर 2015 में उदय नामक योजना लाई गई । उदय अर्थात उज्जवल डिस्काम एश्योरेंस योजना ।इसके तहत डिस्कॉम कंपनियों को जो घाटा होता है उसकी समस्या को दूर करना होगा।
राष्ट्रीय LED प्रोग्राम -यह विद्युत मंत्रालय के द्वारा संचालित किया जा रहा है।इसके तहत एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड को बनाया गया है जो कि एनटीपीसी पीएफसी आरईसी और पावर ग्रिड का जॉइंट वेंचर है ।शुरुआत में घरों में LED लगाने को लेकर DELP नामक प्रोग्राम चलाया गया ।DELP अर्थात डोमेस्टिक एफिशिएंसी लाइटनिंग प्रोग्राम।बाद में सरकार ने को यह नाम अच्छा नहीं लगा क्योंकि घूम फिर के कोई फैंसी नाम ही रखना था ।अत: DELP को बदलकर उजाला नाम रख दिया गया ।उजाला अर्थात उन्नत ज्योति by Affordable LED's for all। इसके तहत 77 करोड़ LED बाटे जाएंगे।यह डिस्कॉम के द्वारा सस्ते में मिल जाएंगे।
स्ट्रीट लाइट्स में एलईडी फिट करने को लेकर SLNP नामक प्रोग्राम चलाया गया जिसका मतलब स्ट्रीट लाइटिंग नेशनल प्रोग्राम ह
ओपन एक्सेस पॉलिसी- जैसा की हम जानते हैं कि विद्युत अधिनियम 2003 के तहत टैरिफ निर्धारित करने काम विद्युत नियामक बोर्ड करेगा। हम इसको ऐसे समझ सकते हैं कि मान लीजिए अनिल अंबानी की विद्युत वितरण कंपनी है ।अंबानी कुछ विद्युत पावर प्लांट से ले आते होंगे और कुछ पावर एक्सचेंज के जरिए लाते होंगे।अंबानी की पूर्ति की जो लागत है वह उनकी आमदनी यानि एवरेज टेरिफ से बहुत कम है यानी हम यह कह सकते हैं की आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया। इस प्रकार की विद्युत वितरण कंपनियों को घाटे से उभरने के लिए ओपन एक्सेस पॉलिसी लाई गई थी ।इसके तहत जो भी ग्राहक जिसकी उपभोग क्षमता 1 मेगावाट से ज्यादे है वह डायरेक्ट पावर प्लांट या पावर एक्सचेंज में जाकर बिजली खरीद सकता है ।उसको इन विद्युत वितरण कंपनियों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है ।लेकिन राज्य सरकारों ने इस योजना का विरोध कर दिया और यह योजना असफल हो गई ।
उदय नामक योजना ओपन एक्सेस पॉलिसी के असफल होने के बाद विद्युत वितरण कंपनियों को घाटे से निकालने के लिए ललाई गई है जिसके तहत इन विद्युत वितरण कंपनियों का जितना भी घाटा है उसका 50% राज्य सरकारें 31/09/2015 तक अपने सिर पर ले लेंगे और 2016 तक 25% लेने का प्रावधान है ।जो भी इन विद्युत वितरण कंपनियों का बकाया है राज्य सरकारें चुका दे सकती हैं ।मान लीजिए इसके लिए राज्य सरकार के पास यदि पैसा नहीं है तो वह बांड भी जारी कर सकती हैं ।लेकिन सरकारों पर कोई ऐसा अनिवार्यता नहीं है कि वह इइस योजना में आए ।लेकिन जो भी राज्य सरकारें ऐसा करेंगे ,केंद्र सरकार उनको दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना जैसी विद्युत संबंधित जितनी भी योजनाएं चल रही है उसमें कुछ अतिरिक्त फंडिंग में मदद कर देगी अर्थात यह एक सहकारी संघवाद का बहुत ही अच्छा उदाहरण होगा।
विद्युत के बारे में थोड़ा संवेधानिक पहलुओं को भी देख लेते हैं-
अनुच्छेद 287 के तहत् तक विद्युत के बिक्री पर राज्य सरकारें टैक्स मांग सकती है लेकिन यदि विद्युत की बिक्री रेलवे या केंद्र सरकार के किसी विभाग में हो रही हो तब राज्य सरकार को टैक्स मांगने का हक नहीं बनता। ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए पंचायती राज संस्थाएं उत्तरदायी होंगी।
विद्युत मंत्रालय के संगठन-
विद्युत मंत्रालय में दो जॉइंट वेंचर हैं।
1. सतलज जल विद्युत और नाफ्था जारकी प्रोजेक्ट (हिमाचल प्रदेश में )
2. टिहरी हाइड्रो -उत्तराखंड प्रोजेक्ट
विद्युत मंत्रालय में तीन वैधानिक संस्थाएं भी हैं।
1.दामोदर घाटी निगम
2.भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड
3.ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी
विद्युत मंत्रालय में कई एनबीएफसी पीएसयू इत्यादि भी हैं जैसे ग्रामीण विद्युतीकरण बोर्ड ,पावर ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ,पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन इत्यादि।
विद्युत मंत्रालय के तहत कई पीएसयू भी है जैसे NTPC,NHPC ,पावर ग्रिड, NE इत्यादि
विद्युत से संबंधित pm मोदी की योजनाएं-
1. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना -यह योजना बजट 2014 में लाया गया था। इसके तहत 1 मई 2018 तक भारत के पूरे गांव में बिजली प्रदान करना है ।
2. इसके बाद दिसंबर 2014 में इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम लाई गई। इसके तहत सब ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को मजबूत करना है।
3. जनवरी 2015 में राष्ट्रीय एलईडी प्रोग्राम लाया गया जिसके तहत स्ट्रीट लाइट्स, घरेलू लाइट हर जगह LED का इस्तेमाल करना होगा ।आप समझ सकते हैं कि इससे जो हमने पेरिस जलवायु समझौता में कहा था कि हम 2030 तक जीडीपी की उत्सर्जन झमता 30 से 35 परसेंट तक कम कर देंगे तो अगर यह योजना सफल हो जाती है तो जो हमने पेरिस में कहा था वो भी सफल हो जाएगा।
4. नवंबर 2015 में उदय नामक योजना लाई गई । उदय अर्थात उज्जवल डिस्काम एश्योरेंस योजना ।इसके तहत डिस्कॉम कंपनियों को जो घाटा होता है उसकी समस्या को दूर करना होगा।
राष्ट्रीय LED प्रोग्राम -यह विद्युत मंत्रालय के द्वारा संचालित किया जा रहा है।इसके तहत एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड को बनाया गया है जो कि एनटीपीसी पीएफसी आरईसी और पावर ग्रिड का जॉइंट वेंचर है ।शुरुआत में घरों में LED लगाने को लेकर DELP नामक प्रोग्राम चलाया गया ।DELP अर्थात डोमेस्टिक एफिशिएंसी लाइटनिंग प्रोग्राम।बाद में सरकार ने को यह नाम अच्छा नहीं लगा क्योंकि घूम फिर के कोई फैंसी नाम ही रखना था ।अत: DELP को बदलकर उजाला नाम रख दिया गया ।उजाला अर्थात उन्नत ज्योति by Affordable LED's for all। इसके तहत 77 करोड़ LED बाटे जाएंगे।यह डिस्कॉम के द्वारा सस्ते में मिल जाएंगे।
स्ट्रीट लाइट्स में एलईडी फिट करने को लेकर SLNP नामक प्रोग्राम चलाया गया जिसका मतलब स्ट्रीट लाइटिंग नेशनल प्रोग्राम ह
ओपन एक्सेस पॉलिसी- जैसा की हम जानते हैं कि विद्युत अधिनियम 2003 के तहत टैरिफ निर्धारित करने काम विद्युत नियामक बोर्ड करेगा। हम इसको ऐसे समझ सकते हैं कि मान लीजिए अनिल अंबानी की विद्युत वितरण कंपनी है ।अंबानी कुछ विद्युत पावर प्लांट से ले आते होंगे और कुछ पावर एक्सचेंज के जरिए लाते होंगे।अंबानी की पूर्ति की जो लागत है वह उनकी आमदनी यानि एवरेज टेरिफ से बहुत कम है यानी हम यह कह सकते हैं की आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया। इस प्रकार की विद्युत वितरण कंपनियों को घाटे से उभरने के लिए ओपन एक्सेस पॉलिसी लाई गई थी ।इसके तहत जो भी ग्राहक जिसकी उपभोग क्षमता 1 मेगावाट से ज्यादे है वह डायरेक्ट पावर प्लांट या पावर एक्सचेंज में जाकर बिजली खरीद सकता है ।उसको इन विद्युत वितरण कंपनियों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है ।लेकिन राज्य सरकारों ने इस योजना का विरोध कर दिया और यह योजना असफल हो गई ।
उदय नामक योजना ओपन एक्सेस पॉलिसी के असफल होने के बाद विद्युत वितरण कंपनियों को घाटे से निकालने के लिए ललाई गई है जिसके तहत इन विद्युत वितरण कंपनियों का जितना भी घाटा है उसका 50% राज्य सरकारें 31/09/2015 तक अपने सिर पर ले लेंगे और 2016 तक 25% लेने का प्रावधान है ।जो भी इन विद्युत वितरण कंपनियों का बकाया है राज्य सरकारें चुका दे सकती हैं ।मान लीजिए इसके लिए राज्य सरकार के पास यदि पैसा नहीं है तो वह बांड भी जारी कर सकती हैं ।लेकिन सरकारों पर कोई ऐसा अनिवार्यता नहीं है कि वह इइस योजना में आए ।लेकिन जो भी राज्य सरकारें ऐसा करेंगे ,केंद्र सरकार उनको दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना जैसी विद्युत संबंधित जितनी भी योजनाएं चल रही है उसमें कुछ अतिरिक्त फंडिंग में मदद कर देगी अर्थात यह एक सहकारी संघवाद का बहुत ही अच्छा उदाहरण होगा।
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