Thursday, February 16, 2017

HDR(Human Development Report)-2015
मानव विकास रिपोर्ट -2015
Theme-Work for human development

इस रिपोर्ट को UNDP(United Nation Development Program) द्वारा प्रकाशित किया जाता है।

1990 में भारत के अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन और पाकिस्तान के महबूब उल हक ने HDI का कंसेप्ट लाया।
2015 की रिपोर्ट इथोपिया की राजधानी आदिस अबाबा से प्रकाशित की गई।

मानव विकास रिपोर्ट में 5 चीजें समाहित होती हैं।
1. मानव विकास सूचकांक(HDI)
2. मानव विकास सूचकांक में असमानता को समायोजित करना (IHDI)
3. लिंग विकास सूचकांक (Gender dev index)
4. लिंग असमानता सूचकांक(Gender inequality Index)
5. बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional poverty index)

एक-एक करके बारी-बारी से सब के बारे में देख लेते हैं।

1. मानव विकास सूचकांक- मानव विकास सूचकांक को मापने के तीन हैं।
i) लंबा और स्वस्थ जीवन जीना
ii) शिक्षित और ज्ञानवान होना
iii) आर्थिक रुप से अच्छा जीवन व्यतीत करना

भारतवर्ष में जीवन प्रत्याशा 68 वर्ष है।
Schooling का औसत 5.4 वर्ष है।
GNI Per Capta (ppp-2011) $5497 है।

HDI-2015 India-   0.609 (Rank-130)
HDI में नंबर वन नार्वे और सबसे अंत में 188 नंबर नाइजर का है।
HDI को तीन खंडों में विभाजित करते हैं-
Very high(0.8-1.0)- नार्वे ,ऑस्ट्रेलिया , स्विजरलैंड, डेनमार्क ,नीदरलैंड
High(0.7-0.8)- श्रीलंका ,ब्राजील ,चाइना
Medium(0.550-0.770)- भारत भूटान बांग्लादेश
Low(<0.550)- नेपाल ,पाकिस्तान ,म्यांमार ,नाइजर(188)
( इसमें मैंने प्रत्येक श्रेणी में सारे देशों के नाम नहीं लिखे हैं)

2. IHDI(inequality human development index)-
HDI में हम मध्य श्रेणी में आते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि भारत के सभी लोग पढ़े-लिखे हैं, सभी के पास रोजगार है। HDI में हम मध्य श्रेणी में आते है तो इसका मतलब हम विश्व के देशों में कुछ हद तक सम्मानित स्थिति में है परंतु भारत के अंदर HDI मापने की तीनों श्रेणियों में काफी असमानता है। बहुतों के पास रोजगार नहीं है बहुत से लोग पढ़े लिखे नहीं हैं। यदि हम असमानता के साथ मानव विकास सूचकांक को समायोजित करें तो भारत का स्थान 131 है।

3. लिंग विकास सूचकांक(GDI)-
Formula=Female HDI/Male HDI
अगर यह मान 1 या 1 से ज्यादे आता है तो वह देश लिंग विकास सूचकांक में सबसे अच्छा माना जाएगा। जैसे इसटोनिया, रूस ।
भारत के लिए यह मान 0.735 है। जो कि बहुत ही खराब है।

4. लिंग असमानता सूचकांक (GII)-HDR में इसे 2010 से शामिल किया गया है।
इस को मापने के 4 आधार हैं-
I)Reproductive health मातृ मृत्यु दर भारत वर्ष में  190 है अर्थात प्रत्येक 1 लाख पैदा हुए बच्चों पर 190 माताएं मर जाती हैं जोकि बहुत खराब है
II)Adolescent birth rate- इसे हम ऐसे समझ सकते हैं कि भारत वर्ष में बहुत सी महिलाओं की शादी 15 से 19 वर्ष के बीच हो जाती है और इस दौरान यदि वे गर्भवती हो जाती है तो प्रत्येक 1000 महिलाओं पर 33 महिलाओं की मृत्यु हो जाती है
III) महिला सशक्तिकरण -हमारे देश में संसद में केवल 12.2%प्रतिशत महिलाएं हैं और केवल 27 प्रतिशत महिलाएं ही हाईस्कूल पास हैं जो कि बहुत खराब है
IV) आर्थिक गतिविधि- भारतवर्ष में केवल 27 प्रतिशत महिलाएं ही आर्थिक गतिविधि में लिप्त है
GII यदि जीरो आए तो उस देश में लैंगिक असमानता बहुत कम है और यदि एक या एक से ज्यादा आए तो उस देश में लैंगिक असमानता बहुत ज्यादा है।
GII India-130 Rank
1st rank-Slovenia
Last rank-Yemen(155 Rank)

5. बहुआयामी गरीबी सूचकांक -इसे 2010 से HDR में शामिल किया गया है।
भारत में गरीबी मापने का तरीका तेंदुलकर कमिटी की रिपोर्ट है
वर्ल्ड बैंक के अनुसार भारत में 37.7 प्रतिशत लोग गरीब हैं  जिनकी प्रति दिन की कमाई 1.25 डॉलर से कम हैं।
परंतु MPI के अनुसार भारत में लगभग 55% लोग गरीब हैं।

Bitcoin-

Bitcoin एक प्रकार की वर्चुअल करेंसी है ।इसे हम क्रिप्टो करेंसी भी बोलते हैं । यह एक प्रकार की e-करेंसी है। बिटक्वाइन के जनक सतोषी नाकोमोटो है ।उन्होंने 2008 में सबसे पहले दुनिया के सामने यह करेंसी ले आई ।2009 से इसका प्रचलन प्रारंभ हो गया। सतोषी नाको मोटो की वास्तविक पहचान अभी तक नहीं हो पाई है ।2009 में कैलिफोर्निया से सतोषी  नोकोमोटो समझ कर एक व्यक्ति को पकड़ा गया परंतु उसने कह दिया कि मैं तो सतोषी नाकोमोटो  नहीं हूँ।

कैसे कमा सकते हैं बिटक्वाइन-
बिटकॉइन कमाने के 3 तरीके हैं-
1. माइनिंग सॉफ्टवेयर की मदद से डाटा ब्लॉक हल करके हम बिटक्वाइन कमा सकते हैं।
2. अगर मान लो हम डॉट ब्लॉक हल नहीं कर पा रहे हैं तब भी हम बिटक्वाइन कमा सकते हैं ।हम वस्तु और सेवाओं को जिसके पास बिटक्वाइन है उसको बेच कर उससे बिटक्वाइन कमा सकते हैं।
3. अब मान लो हमारे पास वस्तुओं सेवाएं भी नहीं हैं तो भी हम बिटक्वाइन कमा सकते है ।हम जिस के पास भी बिटक्वाइन है उसको पेपर मनी  देदे और उसके समतुल्य बिटक्वाइन उससे प्राप्त कर सकते हैं। जैसे आज के समय में 1 बिटक्वाइन की कीमत ₹40761.45 है।
( यह बता तो रहे हैं लेकिन इस प्रकार से कमाने मत लग जाइएगा आप लोग। जैसे कि मन में आ गया कि अभी हम कंपटीशन की तैयारी कर रहे हैं तो कुछ साइड इनकम के लिए यही तरीका अपना लेते हैं,FEMA के अंतर्गत अंदर भी जा सकते हो)

सन 2031 तक सिस्टम में 21 मिलियन बिटक्वाइन का व्यापार होगा।

यदि आप 2.1 लाख डाटा ब्लॉक सॉल्व करते हैं तो आपको 50 बिट क्वाइन मिलेंगे ।अगले 2.1 लाख डाटा ब्लॉक यदि हल करते हैं तब आपको 25 बिटक्वाइन मिलेंगे ।इस प्रकार से इनकी संख्या घटती जाएगी। यह असीमित मात्रा में नहीं रहेंगे।

जैसे ₹1 में सौ पैसा होता है उसी प्रकार एक बिटक्वाइन में 10 (8, यह 8, 10 का पावर होगा) होता है ।बिटकॉइन की सबसे छोटी इकाई सतोषी है।

 मैं यह बार-बार कह रहा हूं कि डाटा ब्लॉक सॉल्व करने से बिटक्वाइन मिलते हैं । डाटा ब्लॉक नेट पर चलता रहता है। डाटा ब्लॉक को हल करने की स्पीड हेज रेट पर सेकंड में मापी जाती है ।समान्य लैपटॉप मे टाटा ब्लॉक को सॉल्व करने की स्पीड मात्र 30 kh/sec होती है और यदि लेपटॉप 24 घंटे चालू रहता है तब भी मात्र हम .003 बिटक्वाइन ही कमा पाएंगे यानी मात्र 3 डॉलर ही कमा पाएंगें। विद्युत बिल का खर्चा अलग होगा यानी हाथ में कुछ नहीं आने वाला।

अतः इन डाटा ब्लॉक्स को सॉल्व करने के लिए इस क्षेत्र के बड़े-बड़े खिलाडी माइनिंग सॉफ्टवेयर की मदद लेते हैं जिससे कि हल करने की स्पीड बहुत ही बढ़ जाती है। इसके लिए वे पावरफुल सिस्टम का उपयोग करते हैं जिसमें वह माइनिंग सॉफ्टवेयर डालते हैं इसमें माइनिंग रिग्स लगे होते हैं ।अब सवाल उठता है कि माइनिंग रिग्स क्या होते हैं ।देखो यदि तुम माइनिंग सॉफ्टवेयर को cpu की मदद से चलाओगे तो बहुत धीमी स्पीड मिलेगी ।लेकिन माइनिंग रिग्स में ग्राफिक्स कार्ड ग्राफिकल यूनिट मौजूद होता हैजिसमें gpu होता है और यदि जीपीयू की मदद से चलाओगे तो स्पीड बहुत ही तेज मिल जाएगी ।तो जो इस क्षेत्र के बड़े-बड़े खिलाड़ी होते हैं वे एक pc में बहुत ज्यादे ग्राफिक्स कार्ड ग्राफिकल यूनिट लगा देते हैं और इस प्रकार से कई दर्जन pc का उपयोग करके बिटक्वाइन कमाते हैं

क्या बिटक्वाइन का स्थानांतरण संभव है?
हां इसका स्थानांतरण संभव है ।इसके लिए आपको अपने सिस्टम में डिजिटल वालेट/e- वालेट सॉफ्टवेयर को लोड करना पड़ेगा ।यहां पर जाकर अपना अकाउंट बनाना पड़ेगा जैसे जीमेल पर अकाउंट बनाते हैं तो ईमेल एड्रेस और पासवर्ड होता है उसी प्रकार से यहां पर पब्लिक एड्रेस और पासवर्ड होता है ।यहां पर नाम, ip एड्रेस ,फोन नंबर इत्यादि का कोई भी उल्लेख नहीं किया जाता ।अत: इसका प्रयोग हवाला तथा टेरर फाइनेंसिंग में होता ह

जैसे ई मेल में आपको मान लीजिए बार बार देखो की cd फॉरवर्ड करनी है तो आप जितने लोगों को चाहे उतने को फॉरवर्ड कर सकते हैं लेकिन यहां एक बार में केवल 1 लोगों को ही बिटक्वाइन ट्रांसफर किया जा सकता है।बिटक्वाइन के स्थानांतरण पर निगरानी रखने के लिए पब्लिक लेजर मेल नामक एक सॉफ्टवेयर बनाया गया है जो प्रत्येक 10 मिनट पर बिटक्वाइन की ट्रांजैक्शन पर नजर रखता है ।आरटीजीएस और एनईएफटी के लिए ऑनलाइन पैसा भेजने के लिए सीलिंग निर्धारित है लेकिन बिटक्वाइन में कोई सीलिंग निर्धारित नहीं है आप कितना भी पैसा चाहे इधर से उधर भेज सकतेे आरटीजीएस और एनईएफटी के लिए ऑनलाइन पैसा भेजने के लिए सीलिंग निर्धारित है लेकिन बिटक्वाइन में कोई फीलिंग निर्धारित नहीं है आप कितना भी बिटक्वाइन चाहे इधर से उधर भेज सकते हैं ।बिटकॉइन की ट्रेडिंग चौबीसों घंटे चालू रहती है।
जिस व्यक्ति ने बिटकॉइन कमा लिया होता है तो आप उसको इस को डॉलर में बदलवाना पड़ेगा।इसके लिए कुछ वेबसाइट चल रही है जो यही काम करती है ।वह आपके बिटकोइन लेकर आपको उसके समतुल्य डालर दे देती हैं।

नक्सलवाद का इतिहास-

नक्सलवादी Mao ze dung के विचारों को मानने वाले वाम पक्ष अतिवादी होते हैं । इनका मानना होता है कि बंदूक की नाल से जो पावर निकलता है वही असली पावर होता है।
भारत में राज्यों के विरुद्ध क्रांतिकारी साम्यवाद की शुरुआत भारत में नक्सलवाद का जन्म नहीं है। बल्कि नक्सलवाद का जन्म तो 1946 से 1951 के बीच चलने वाले तेलंगाना आंदोलन में ही हो गया था। आज जो 2014 में तेलंगाना राज्य अलग से उभर कर आया है ,यह आंदोलन 1946 से ही चल रहा है और यह आंदोलन किसानों द्वारा जमींदारों के विरुद्ध चलाया जा रहा था और किसानों को साम्यवादी लोग सहायता कर रहे थे ।आंदोलन का उद्देश्य यह था कि एक अलग तेलंगाना राज्य बनाए जाएं ,जहां पर तेलुगु भाषियों का बहुमत हो। उस दौरान इस विवाद को सुरक्षाबलों की मदद से शांत कराया गया। परंतु तेलंगाना आंदोलन ने नक्सलवादी आंदोलन को प्रेरणा प्रदान की जो कि आगे 1960 से अपना पैर पसारता ही चला गया।
1964 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से एक धड़ा अलग हो गया तथा कम्युनिस्ट पार्टी(Marxist) का निर्माण किया। इसके अलग होने का कारण यह है कि 1962 के भारत-चीन युद्ध में सीपीआई ने चीन का साथ दिया था ,उससे नाराज होकर इस से एक धड़ा अलग हो गया ।साथी साथ आंदोलन को आगे चलाने पर भी दोनों की राय अलग अलग थी।
फिर 1967 में कांग्रेस ने सीपीआई-एम के साथ मिलकर पश्चिम बंगाल में यूनाइटेड फ्रंट की गवर्नमेंट बना दी। जिस दिन मुख्यमंत्री अजाँय मुखर्जी शपथ लेने जा रहे थे ,उसी दिन नक्सलबाड़ी से एक घटना सामने आ गई ।विमल किसान नामक एक आदिवासी युवा कोर्ट का आदेश लेकर अपनी भूमि पर खेती करने जा रहा था, तभी जमींदारों ने उसे पिटवा दिया। इससे वहां गुस्सायें किसानों ने उल्टे जमींदारों पर ही हमला कर दिया। यह वही समय था जब भारत में बहुत बड़ी खाद्य त्रासदी आई थी तो किसानों का गुस्सा तो स्वभाविक ही था। नक्सलबाड़ी की समस्या जब शांत हुए तब राज्य सरकार ने नक्सलवाद की समस्या को हल करने के लिए कुछ उपाय सोचा जिसमें भूमि सुधार,वितरण समितियां इत्यादि बनाने को था।
1968 में पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लग गया।
मई 1961 में एआईसीसीसीआर ( ऑल इंडिया कॉर्डिनेशन कमेटी ऑफ कम्युनिस्ट रिवोल्यूशन) का गठन हुआ। इस कमेटी ने राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने का निश्चय किया।
1969 में सीपीआईएम में भी फूट पड़ गई तथा वहां से एक और पार्टी उभरकर निकली जिसका नाम कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया(Marxist-Leninist) था। इस पार्टी के नेता कानू सान्याल थे।
1975 में कन्हाई चटर्जी ने माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर (MCC) बनाया।
1970 में चारू मजूमदार ने अपनी किताब मर्डर मेनुअल में आंदोलन को कैसे आगे बढ़ाना है ,जमींदारों को किस तरह से मारना है इन सब के बारे में दिशा-निर्देश किए गए थे ।नक्सली इस किताब को पवित्र ग्रंथ की तरह मानते हैं
1972 में चारु मजूमदार के गिरफ्तार हो जाने तथा बाद में मृत्यु हो जाने के कारण नक्सललवादी आंदोलन थोड़ा धीमा पड़ गया।
1974 में सीपीआईएमएल कभी विघटन हुआ ।उससे सीपीआईएमएल लिबरेशन नाम की पार्टी का उदय हुआ।
1975 में आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने अपना आयरन हैंड चलाया तथा नक्सलवादी समस्या को थोड़ा कम करने की कोशिश की। लेकिन वह इस समस्या को पूर्णतया खत्म करने में सफल नहीं हो पाई।
1977 में फिर एक बार विघटन होता है तथा सीपीआईएमएल पीपुल्स वार ग्रुप नामक पार्टी का उदय होता है।
1982 में इंडियन पीपल्स फ्रंट का गठन किया गया जो कि आगे चलकर सीपीआईएमएल लिबरेशन का पॉलिटिकल फ्रंट बना।
1989 में पहली और आखरी बार कोई नक्सली लोकसभा पहुंचा है ।उस नक्सली का संसदीय क्षेत्र में बिहार था।
1994 में इंडियन पीपल्स फ्रंट को बिल्कुल समाप्त कर दिया गया तथा सीपीआईएमएल को पूरी तरीके से राजनीतिक पार्टी घोषित कर दिया गया जोकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में विश्वास रखता था वही पीपुल्स वार ग्रुप तथा ऑल इंडिया कॉर्डिनेशन कमेटी ऑफ कम्युनिस्ट रिवोल्यूशन इत्यादि सब नक्सलवादी आंदोलन में विश्वास रखते थें।
2004 में एमसीसी तथा पी डब्ल्यू जी का विलय हो गया तथा एक नई पार्टी जोकि सरकार के नियमों के मुताबिक बैन पार्टी है का गठन हुआ जिसका नाम सीपीआई(माओइस्ट) रखा गया। यह संसदीय लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखते थे इनका कहना था कि हम साम्यवादी सरकार का में विश्वास रखते हैं ।इनके विलय का एक कारण सन 2000 में झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य का निर्माण होना था ।जब इन राज्यों का निर्माण हुआ तो वहां की पुलिस नक्सलवादियों के विरुद्ध काफी सक्रिय हो गई तो नक्सलवादियों को लगा कि हम आपस में विलय ही कर लेते हैं तब ही जाकर हम इस आंदोलन को आगे बढ़ा सकते हैं ।उन्हें लगा कि संगठन में ही शक्ति है, अतः 2004 में विलय हो गया।
आज हम नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों को रेड कॉरिडोर के नाम से जानते है। यह समस्या पश्चिम बंगाल से शुरू होकर आज भारत के 173 जिलों में अपना पैर पसार चुकि है।

Monday, February 13, 2017

एक बार कलाम साहब से एक बच्ची ने पूछा कि आप तो हमेशा शांति शांति की बात करते रहते हैं और खुद मिसाइल और परमाणु बम बनाते रहते हैं। तब कलाम साहब ने बड़े ही मुस्कुराकर उस बच्ची से यह कहा कि बेटी शक्तिशाली ही शक्तिशाली की इज्जत करता है और मैं अपने देश को शक्तिशाली बनाने के लिए ये सब बनाता हूं। नहीं तो मेरे देश की कोई इज्जत नहीं रह जाएगी।

Thursday, February 9, 2017

Highlights of the union budget 2017

Highlights of the Union budget 2017-

# Highlights : बजट में रेल ई-टिकट, POS मशीनें और फिंगरप्रिंट रीडर सस्ते हुए, जबकि सिगरेट सहित तंबाकू उत्पाद, ऐल्युमिनियम उत्पाद और मोबाइल सर्किट महंगा हुआ।

# Highlights : 3 लाख रुपये तक सालाना आमदानी वालों को अब नहीं देना होगा कोई टैक्स
# Highlights : 2.5 लाख से 5 लाख तक की सालाना आय वालों को अब 10 की जगह से 5% टैक्स देना होगा.
# Highlights : 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक सालाना आमदानी वालों को अब देना होगा 10% सरचार्ज
# Highlights : 1 करोड़ रुपये से ज्यादा सालाना आमदानी वालों पर 15% का सरचार्ज जारी रहेगा
# Highlights : राजनीतिक दल अब किसी व्यक्ति से नकद में अधिकतम 2,000 रुपये ही चंदा ले सकती हैं
# Highlights : 3 लाख रुपये से ज्यादा कैश में लेनदेन पर रोक, ऐसे ट्रांजैक्शन डिजिटल मोड से करने होंगे.
# Highlights : 50 करोड़ से कम के सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों को टैक्स में 5% की राहत, अब 25% टैक्स देना होगा.
# Highlights : टैक्स में मध्यम वर्ग को राहत देने का फैसला, भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा कर मुक्त होगा
# Highlights : नोटबंदी के बाद 8 नवंबर से 30 नवंबर तक 1.09 करोड़ खातों में औसतन 5 लाख से अधिक जमा किए गए
# Highlights : 99 लाख लोगों ने अपनी आमदनी 2.5 लाख रुपये से कम बताई है
# Highlights : भारत में टैक्स से आने वाली आय काफी कम है, सिर्फ 24 लाख लोग 10 लाख से ज्यादा आय बताते हैं
# Highlights : सरकारी घाटा 3.2% से कम कर 3.0% करने का लक्ष्य है
# Highlights : बजट 2017-18 का कुल खर्च 21.47 लाख करोड़ रुपये, रक्षा क्षेत्र पर 2.74 लाख करोड़ होगा खर्च
# Highlights : आर्थिक अपराधियों के देश से भाग जाने पर जब्त होंगी उनकी संपत्ति
# Highlights : डॉकघरों से पासपोर्ट बनाने का प्रस्ताव
# Highlights : आधार कार्ड से पेमेंट के लिए 20 लाख नई मशीनें आएंगी
# Highlights : क्रेडिट-डेबिट कार्ड ना होने पर आधार कार्ड से कर पाएंगे पेमेंट
# Highlights : 125 लाख लोगों ने BHIM ऐप अपनाया डिजिटल इंडिया के JAM योजना
# Highlights : रेलवे से जुड़ी 3 कंपनियां शेयर बाजार में उतरेंगी
# Highlights : शेयर बाजार में उतरेगी IRCTC
# Highlights : बुनियादी ढांचों के विकास के लिए 3.96 लाख करोड़ का का फंड
# Highlights : विदेशी निवेश के लिए ऑन लाइन अर्जी दायर कर सकेंगी कंपनियां
# Highlights : हाईवे के विकास के लिए 64000 करोड़ का फंड
# Highlights : महिला कल्याण के लिए 1.86 लाख करोड़ का फंड
# Highlights : अब छोटे शहरों में पीपीपी मॉडल से एयरपोर्ट बनाए जाएंगे : जेटली
# Highlights : 2019 तक सभी ट्रेनों में बायो टॉइलट लगाए जाएंगे: वित्त मंत्री
# Highlights : 3500 किमी नई पटरी बिछाई का लक्ष्य, पर्यटन व तीर्थ स्थलों के लिए अलग से ट्रेनें चलाई जाएंगी
# Highlights : 25 चुनिंदा स्टेशनों का विकास जाएगा
# Highlights : ई टिकटों पर सर्विस टैक्स समाप्त होगा
# Highlights : 2020 तक मानव रहित क्रॉसिंग पूरी तरह खत्म किए जाएंगे
# Highlights : रेल सुरक्षा के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का फंड.
# Highlights : वरिष्ठ नागरिकों के लिए LIC योजना लाएगी सरकार
# Highlights : डॉक्टरों के लिए पीजी रोर्स में 5000 सीटों में इजाफा किया जाएगा
# Highlights : 2025 तक टीबी खत्म करेंगे
# Highlights : 2020 तक चेचक खत्म करेंगे
# Highlights : 2018 तक कालाजार खत्म किया जाएगा
# Highlights : झारखंड और गुजरात में दो नए ऐम्स बनेंगे
# Highlights : उच्च शिक्षा में सुधार के लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी बनाई जाएगी
# Highlights : CBSE प्रवेश परिक्षा नहीं लेगी, प्रवेश परिक्षा के लिए अलग बॉडी बनेगी
# Highlights : ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता सुधारने पर जोर
# Highlights : सड़क योजना में रेकॉर्ड तेजी, पीएम ग्राम सड़क योजना के लिए 2019 तक 4 लाख करोड़ रुपये
# Highlights : अगले साल 1 मई तक देश के सभी गांवों तक बिजली पहुंचा दी जाएगी : वित्त मंत्री
# Highlights : प्रधानमंत्री अवास योजना के तहत 2019 तक एक करोड़ घर दिए जाएंगे
# Highlights : बापू की 150वीं जयंति पर 1 करोड़ परिवारों को गरीबी रेखा से बाहर लाया जाएगा.
# Highlights : मनरेगा में अब तक का सबसे ज्यादा 48 हजार करोड़ का फंड दिया जाएगा
# Highlights 39: 5000 करोड़ रुपये के साथ सिंचाई फंड स्थापित किया जाएगा.
# Highlights : नाबार्ड के तहत 8,000 करोड़ रुपये के फंड से डेयरी प्रसंस्करण इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड स्थापित किया जाएगा.
# Highlights : फसल बीमा साल 2017 में 30 की जगह 40%, जबकि 2018 में होगा: अरुण जेटली
# Highlights : किसानों को 10 लाख करोड़ का कर्ज देंगे: अरुण जेटली
# Highlights : बजट में गांवों के विकास पर ज्यादा फोकस : वित्त मंत्री अरुण जेटली
# Highlights : महंगाई दर रिजर्व बैंक की अनिवार्य सीमा 2 से 6 प्रतिशत के अंदर रहने की उम्मीद है: अरुण जेटली
# Highlights : भारत को वैश्विक विकास के इंजन की तरह देखा जा रहा है, जिसने एक साल ऐतिहासिक सुधार देखे हैं : जेटली
# Highlights : IMF ने 2016 में वैश्विक जीडीपी में 3.1% और 2017 में 3.4% वृद्धि का अनुमान लगाया है
# Highlights : FDI 36% बढ़ा, खाते का घाटा 0.3% से नीचे आया : जेटली
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Wednesday, February 8, 2017

सातवां वेतन आयोग

7वाँ वेतन आयोग-
भारतवर्ष में वेतन आयोग बनने की परंपरा सन 1946-47 से प्रारंभ हुई ।पहले वेतन आयोग के चेयरमैन श्री Srinivasa Varadacharian थे। 2006 में छठा वेतन आयोग जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में बना ।7वाँ वेतन आयोग जस्टिस ए के माथुर की अध्यक्षता में बना।
वेतन आयोग की रिपोर्ट को वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग लागू करता है ।सातवां वेतन आयोग 1 जनवरी 2016 से लागू होगा। इससे वेतन में लगभग पहले से 24% की बढ़ोतरी देखी जाएगी। न्यूनतम वेतन 18000 प्रतिमाह(Dr. Aykrod formula workrd in FAO-UN before independence) तथा अधिकतम वेतन 2.25 lakhs(Cabinet Secretary-2.5 lakhs) होगा ।एनुअल इंक्रीमेंट 3% रहेगा ।
सातवें वेतन आयोग से राष्ट्रीय खजाने पर कुल 1.02 lakh crores का बोझ आएगा जोकि जीडीपी का .65% है।
हलाकि सातवें वेतन आयोग में आरबीआई के गवर्नर और मेंबर शामिल नहीं है। अभी गवर्नर को 1.98 लाख रुपए प्रतिमाह का वेतन मिलता है ।जस्टिस माथुर ने सुझाव दिया कि गवर्नर का वेतन 4.5 लाख रुपए प्रतिमाह तथा सदस्यों का 400000 रूपए प्रतिमाह होना चाहिए।
                      7वें वेतन आयोग के लाभार्थी:
1. वैधानिक नियामक संस्थाएं(excluding RBI)
2. केंद्र सरकार के कर्मचारी(  इंडस्ट्रियल ,नॉन इंडस्ट्रियल)
3. अखिल भारतीय सेवाएं
4. संघ राज्यक्षेत्र ,सुप्रीम कोर्ट ,ऑडिट एकाउंट्स के कार्मिक
5. पेंशनर(52 lakhs)
HRA( हाउस रेंट अलाउंस)- यह बेसिक पे का 8%, 16% या 24% हो सकता है।(depending on UR city)
सातवां वेतन आयोग लागू करने से महंगाई में कोई खास वृद्धि नहीं होगी ।हां यह जरूर है किHRA से CPI( उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) में .3% की बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
सातवें वेतन आयोग से महंगाई के न बढ़ने के कारण-
1. केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों को हाउस बिल्डिंग अलाउंस(HBA) मिलता है ।पहले यहां 7.5 लाख रुपया था। लेकिन माथुर ने इसे बढ़ाकर 2500000 रूपए कर दिया ।पहले केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को मोटर कार ,मोटर साइकिल इत्यादि खरीदने के लिए भी पैसे देती थी और व्यक्ति उसका इंटरेस्ट जमा करता रहता था लेकिन अब केवल मकान और कंप्यूटर खरीदने के लिए ही केंद्र सरकार पैसे देगी और किसी चीज पर पैसे नहीं मिलेंगे ।इससे जनता के हाथ में पैसे कम आएँगे और महंगाई नहीं बढ़ेगी।
2. जहां तक सप्लाई की बात है ।आने वाले दिनों में देश में सप्लाई भी बढ़ेगी क्योंकि ला नीना इफेक्ट आने वाला है और मानसून अच्छा रहेगा ।साथी साथ सरकार के मेक इन इंडिया, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, स्टार्ट अप इंडिया इत्यादि कार्यक्रम से भी सप्लाई साइट को बढ़ावा मिलेगा ।अतः डिमांड और सप्लाई में संतुलन बना रहेगा और महंगाई नहीं बढ़ेगी।
3. यह बात सही है कि 24% का वेतन में इजाफा होगा परंतु जनता टैक्स बचाने के लिए वित्तीय उत्पाद जरूर खरीदेगी । 52 प्रकार के अलाउंसेज खत्म कर दिए गए हैं ।ओवरटाइम  को भी खत्म कर दिया गया है ।कार्मिकों के इंस्योरेंस का प्रीमियम बढ़ा दिया गया है ।इंटरेस्ट फ्री एडवांस को भी खत्म कर दिया गया है ।अतः जनता के हाथ में पैसा कम रहेगा और महंगाई नहीं बढ़ेगी।
जहां तक प्राइवेट सेक्टर की बात है ऐसा नहीं है कि सतवां वेतन लगने से उनके भी वेतन में इजाफा होगा या प्राइवेट सेक्टर में नौकरियां बढ़ेंगी क्योंकि देश में प्राइवेट सेक्टर में भी नौकरियों में भारी कमी है।

सिविल सर्विसेज के लिए सातवें वेतन आयोग के कुछ सुझाव:
1.अभी तक सिविल सर्विसेस मे आई ए एस को अन्य सभी सिविल सेवा के अधिकारियों से दो साल तेज पदोन्नति मिलती थी ।माथुर के अनुसार सिविल सर्विसेज में जिसकी भी सेवा 17 साल पूरी हो चुकी है उसको केंद्र के पद देने में एक जैसा व्यवहार किया जाना चाहिए।
2.भारतीय विदेश सेवा के अधिकारियों को पदोन्नत के दौरान 3 % अतिरिक्त इंक्रीमेंट दिया जाता है ।माथुर के अनुसार IPS और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को भी अब से यह सुविधा मिलनी चाहिए।

यूनिफॉर्मड सर्विसेस के लिए सातवें वेतन आयोग के कुछ सुझाव:
1.यूनिफॉर्मड सर्विसेस के ऑफिसर अपनी सेवा के 7 से 10 वर्ष के भीतर वीआरएस ले सकते हैं ।उन्हें अच्छा पैकेज दिया जाएगा।
2.डिफेंस कार्मिकों को रिटायरमेंट के बाद सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेस में भर्ती किया जा सकता है।
3.सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेस के जवान को भी शहीद का दर्जा दिया जाए।
4.सियाचिन में तैनात हमारे जवाब जवानों का रिस्क हार्डसिप अलाउंसेज बढ़ाया जाए।
5.डिफेंस कार्मिकों के सैलरी में दोगुना बढ़ोतरी की जाए।
6.वन रैंक वन पेंशन को सिविल और डिफेंस दोनों सेक्टर में लागू किया जाए।

Tuesday, February 7, 2017

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह- भारत की सदस्यता में चीन एक रोड़ा

NSG(Nuclear Suppliers Group)-
स्थापना वर्ष -1974
सदस्य संख्या-48 (last- अर्जेंटीना,   2015)
NSG परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों का समूह है जो कि ऐसे परमाणु उपकरण ,मटेरियल और टेक्नोलॉजी के निर्यात पर रोक लगाता है जिसका प्रयोग परमाणु हथियार बनाने में होना है और इस प्रकार यह परमाणु प्रसार को रोकता है।

May 1974 को भारत ने जब अपना परमाणु परीक्षण किया तो इसके जवाब में Nuclear Suppliers Group का गठन किया गया और इनकी पहली बैठक जो है वो May 1975 में हुई | यह देखा गया कि nuclear technology  को  जनकल्याण और उर्जा प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जा सकता है वही यह युद्ध के लिए भयंकर परिणाम देने वाले हथियार बनाने में भी किया जा सकता है | ऐसे में ऐसे परमाणु हथियारों और nuclear technology  पर लगाम लगाना जरुरी है और ऐसा तभी संभव है जब इन से जुड़े साधनों के export और इम्पोर्ट पर लगाम लगाई जाएँ ऐसे में वो देश जिन्होंने NPT treaty पर sign किया हुआ है था यानि
Nuclear Non-Proliferation Treaty (NPT) संधि पर sign किये हुए थे उन्होंने इस पर बात विचार किया | जबकि इसमें शामिल एक देश ऐसा भी है जिसने NPT पर हस्ताक्षर नहीं किये है लेकिन फिर भी फ़्रांस को Nuclear Suppliers Group समूह में शामिल कर लिया गया |
NSG में शामिल देश परमाणु उपकरणों के निर्यात के लिए सहमत नियमों को क्रियान्वित भी करता है।

भारत 2008 से ही इसकी सदस्यता पाने के लिए कोशिश कर रहा है ।परंतु शुरुआती दौर में काफी देशों ने विरोध किया जैसे आस्ट्रेलिया ,मेक्सिको ,स्विजरलैंड ,चीन इत्यादि।

अमेरिका क्यों चाहता है कि भारत इसका सदस्य बने?
1968 में परमाणु अप्रसार संधि हुई थी। इस संधि में यह था कि जो परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र 1 जनवरी 1967 के पहले परमाणु परीक्षण कर चुके हैं वह इस संधि का हिस्सा हो सकते हैं । स्वाभाविक सी बात है तब भारत इसका हिस्सा नहीं हो सकता था क्योंकि भारत ने तब तक परमाणु परीक्षण नहीं किया था। 2006 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश भारत आए। उन्होंने भारत के साथ परमाणु व्यापार संबंध बनाने की कोशिश की परंतु चुकि भारत NSG का हिस्सा नहीं था अतः परमाणु टेक्नॉलॉजी ट्रांसफर नहीं की जा सकती थी।
बुश ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए 2008 में इंडो-यूएस सिविल न्यूक्लियर डील की और भारत ने भी अपने सैन्य परमाणु कार्यक्रम और सिविल परमाणु कार्यक्रम को अलग अलग करने की सहमति जताई। भारत ने अपने निर्यात के नियमों को NSG, MTCR, Wassenaar Arrangement, and Australia Group के अनुसार किया। अमेरिका के सहयोग के कारण भले ही भारत एनएसजी का सदस्य नहीं है लेकिन उसके साथ एनएसजी के सदस्य जैसा ही व्यवहार किया जाता है।

 भारत की एंट्री को लेकर चीन को क्या समस्या है?
चीन और कुछ अन्य देश यह कहते हैं कि क्योंकि भारत ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं अतः भारत इसका सदस्य परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने वाले देशों के लिए NSG में सदस्यता के लिए जो मापदंड है उस आधार पर बन सकता है ,न की सामान्य विधि से ।क्योंकि अगर भारत को सामान्य विधि से हमने सदस्य बना दिया तो और भी देश उसी प्रकार से एंट्री लेना चाहेंगे।

भारत ने एनएसजी की सदस्यता के लिए सियोल में हुई मीटिंग में अपना क्या पक्ष रखा?
भारत की ओर से कहा गया कि 2008 में भारत को NSG के देशों के साथ परमाणु व्यापार करने की छूट दी गई थी अतः भारत को अब NSG में सामान्य विधि से ही एंट्री दी जाए। भारत को उस समय यह छूट इसलिए दी गई थी क्योंकि उस समय  यूएस -चाइना संबंध काफी अच्छे थे ।परंतु आज दक्षिण चीन सागर में चीन की बदमाशी के कारण दोनों देश के संबंध काफी बिगड़ गए हैं और चीन एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहा है।

BREXIT - भारत पर असर

BREXIT-(Britain Exit)
यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन के अलग होने की प्रक्रिया को BREXIT कहा गया। ब्रिटेन में जून 2016 में जनमत संग्रह कराया गया जिसमें 52 प्रतिशत लोगों ने ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग होने के पक्ष में वोट दिया। आज सितम्बर 2016 चल रहा है लेकिन ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग होने के लिए न तो कोई समय निर्धारित हुआ है न कोई शर्त निर्धारित है। अगर इस समय की बात करें तो ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन का सदस्य बना हुआ है।

2007 में यूरोपियन यूनियन के देशों के बीच एक संधि हुई थी। उस संधि के अनुच्छेद 50 के तहत यूरोपियन यूनियन का ब्रिटेन से निकलना वैध माना जा रहा है। ब्रिटेन में जनमत संग्रह के तुरंत बाद यूरोपियन यूनियन से निकलने की आधिकारिक रुप से घोषणा नहीं की है ।लेकिन जब आधिकारिक रुप से घोषणा हो जाएगी उसके बाद आर्टिकल 50 के तहत ब्रिटेन को यूरोपियन यूनियन से अलग होने में 2 वर्ष का समय लग जाएगा क्योंकि प्रक्रिया लंबी है और कोई देश इस प्रकार पहली बार यूरोपियन यूनियन से अलग हो रहा है।

आखिर क्यों अलग होना चाहता है ब्रिटेन EU से?
1. ब्रिटेन का कहना है कि उसको यूरोपियन यूनियन को प्रत्येक सप्ताह करोड़ों पाउंड दे देने पड़ते हैं जिससे ब्रिटेन का नुकसान होता है।
2. ब्रिटेन का कहना है कि यूरोपीय संसद का नौकरशाही रवैया ब्रिटिश निर्यातकों के लिए दुखदायक है।
3. ब्रिटेन का यह भी कहना है कि यूरोप से ब्रिटेन में जो निरंतर प्रवास हो रहा है उससे ब्रिटिश सरकार द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाएं असंतुलित हो जा रही हैं।
इन सब कारणों से ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से बाहर निकलना चाहता है।

परंतु बहुत से लोग यह भी कहते हैं कि ब्रिटेन जितना यूरोपियन यूनियन को दे नहीं देता, उससे ज्यादा तो वह यूरोपियन यूनियन से पैसा पा जा रहा है।  बहुत सी ब्रिटिश कंपनियां यूरोप में प्रवेश कर अपना व्यापार कर रही हैं।

भारत पर BREXIT का क्या प्रभाव पड़ेगा?
1. एक बड़ी समस्या यह है कि BREXIT होने के बाद यूरोपियन यूनियन और ब्रिटेन के संबंध कैसे होंगे ,इसका कोई रोड मैप अभी तक तैयार नहीं किया गया है ।पुख्ता तौर पर यह भी नहीं पता कि क्या ब्रिटिश कंपनियां BREXIT के बाद यूरोपियन यूनियन में जाना जारी रखेंगे। मान लीजिए अगर जाना जारी भी रखते हैं तो क्या ट्रेड बैरियर बढ़ा दिया जाएगा। यह सब कुछ ऐसे प्रश्न है जिनके उत्तर अभी अनुपलब्ध है जो कि भारत क्या, विश्व की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डाल सकते हैं।

2. अभी के लिए ब्रिटेन में दूसरा सबसे ज्यादा एफडीआई भारत से आता है भारत की कंपनियां ब्रिटेन में जाती हैं और माल तैयार करके FTP के द्वारा यूरोपियन यूनियन में सप्लाई करती हैं।
BREXIT के बाद भारतीय कंपनियों का ब्रिटेन की तरफ रुझान कम हो सकता है ।लेकिन ब्रिटेन का कहना है कि हम भारत से आनेवाले FDI को कम नहीं होने देंगे। तो हम समझ सकते हैं कि ब्रिटेन भारतीय कंपनियों को टैक्स में लाभ, कम नियम कानून इत्यादि सुविधाएं जरुर देगा जोकि भारत के लिए एक अच्छी बात है। लेकिन यदि यूरोपियन यूनियन से जटिल नौकरशाही संरचना के कारण अलग हो रहा है तो हम यहां आशा कर सकते हैं कि ब्रिटेन अपने नियम कानून को जटिल नहीं रखेगा जिससे भारतीय कंपनियों को फायदा होगा।

3. भारत BREXIT के बाद यूरोपियन यूनियन के अन्य देशों में प्रवेश नहीं मिलेगा ।अतः भारत को अभी से इन देशों के साथ व्यापार समझौते कर लेना चाहिए। हालांकि भारत नीदरलैंड, फ्रांस, जर्मनी इत्यादि देशों के साथ व्यापार समझौता किया है।
जिसे भारत को अब और बढ़ा देना चाहिए। भारत की सबसे ज्यादा एफडीआई नीदरलैंड में जाती है।

4. चाहे BREXIT के पहले और चाहे BREXIT के बाद, यह यूरोप का गर्ज है कि वह भारत के साथ व्यापारिक और सामरिक संबंध अच्छे बनाए। BREXIT के बाद अमेरिका और चीन को बैलेंस करने के लिए यूरोप को ऐसा करना ही पड़ेगा क्योंकि भारत की अर्थव्यस्था इस समय विश्व की सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है।

5. BREXIT होने के बाद ब्रिटेन को नए ट्रेड पाटनर ढूंढने होंगे ।वह कॉमनवेल्थ राष्ट्रों को अपने नए ट्रेड पार्टनर के रुप में ले सकता है।

6. ब्रिटेन अभी अपने यहां के और यूरोपियन यूनियन के छात्रों को शिक्षा में सब्सिडी देता है ।BREXIT के बाद यह सब्सिडी यूरोपियन यूनियन के लिए बंद हो जाएगी। चुकि भारत के बहुत से छात्र ब्रिटेन पढ़ने जाते हैं तो हम आशा करते हैं कि उन्हें यह सब्सिडी दी जा सकती है जोकि भारत के लिए एक अच्छी बात होगी। 

विश्व व्यापार संगठन

विश्व व्यापार संगठन(WTO):मुख्यालय- जेनेवा ,स्विजरलैंड
WTO 10वाँ सम्मेलन- नैरोबी ,केन्या (Dec,2015)

WTO के तीन भाग हैं-
1. मंत्रालय सम्मेलन(Ministerial Conference)
2. सामान्य परिषद(General Council)
3. सचिवालय(Secretariat)

डब्ल्यूटीओ में 164 सदस्य हैं ।दिसंबर 2015 में अफगानिस्तान को 164 में सदस्य के रुप में शामिल किया गया। ये सदस्य मिलकर Director General (DG) को नियुक्त करते हैं ।ये आपस में व्यापार समझौते करते हैं ।प्रत्येक 2 वर्ष पर ये मिलते हैं ।9वाँ सम्मेलन बाली में हुआ था।

नैरोबी सम्मेलन में क्या-क्या हुआ?
1. नैरोबी सम्मेलन में विकसित देशों से कहा गया कि आप कृषि उत्पाद के निर्यात पर देने वाली सब्सिडी तुरंत खत्म कर दीजिए। इसे हम ऐसे समझ सकते हैं कि आज अमेरिका अपने किसानों को कृषि उत्पाद को निर्यात करने के लिए बहुत ज्यादा सब्सिडी देता है जिससे उनके किसान कृषि उत्पाद को निर्यात करने के लिए ज्यादा उत्पादन करते हैं ।इससे उनका माल तो सत्ता हो जाता है ।परंतु यह माल जिस देश में बिकने जाता है उस देश के घरेलू किसानों को नुकसान होता है क्योंकि लोग इनका सस्ता माल खरीद लेते हैं और अपना घरेलू नहीं खरीदते।

कनाडा, स्विजरलैंड, नार्वे को दूध और मीट पर दिए जाने वाली सब्सिडी को 2022 तक खत्म करना है।
विकासशील देशों को कृषि उत्पाद पर दिए जाने वाली सब्सिडी को 2018 तक खत्म करने के लिए कहा गया है और कृषि उत्पाद के परिवहन और मार्केटिंग पर दिए जाने वाली सब्सिडी को 2023 तक खत्म करने को कहा गया है।

गरीब देशों के लिए यह समय सीमा 2030 रखी गई है।

2. विकसित देशों को कपास के निर्यात पर दिए जाने वाली सब्सिडी को भी तुरंत खत्म कर देना है विकासशील देशों के लिए यह समय सीमा 1 जनवरी 2017 है ।गरीब देशों के लिए यह कहा गया है कि यदि वह कपास निर्यात करते हैं तुम पर कोई ड्यूटी, कोई कोटा नहीं लगेगा।

3. विशेष सुरक्षा प्रावधान- माना विकसित देश अपने किसानो को कृषि उत्पाद के निर्यात पर देने वाली सब्सिडी बंद भी कर देते है तो भी उनका अनाज सस्ता ही रहेगा ।उनका उत्पादन तब भी ज्यादा ही रहेगा क्योंकि उनके पास उच्च कोटि का रिसर्च एंड डेवलपमेंट है, आधुनिक मशीनें हैं।
अतः नैरोबी सम्मेलन में कुछ विशेष प्रावधान किए गए ताकि दूसरे देशों को नुकसान न हो। यह प्रावधान आयात की मात्रा और मूल्यों पर आधारित है परंतु अभी तक यह नहीं किया गया है इसे डब्ल्यूटीओ कमेटी तय करेगी।

अल्पविकसित देशों को शुल्क मुक्त कोटा मुक्त पहुंच देने का प्रावधान डब्ल्यूटीओ की 2005 में हांगकांग सम्मेलन में किया गया था ।भारत पहला देश है जिसने अल्पविकसित देशों को शुल्क मुक्त कोटा मुक्त पहुंच दिया। 48 में से 31 LDC को भारत ने यह पहुंच दिया।

4. डब्ल्यूटीओ के सिंगापुर 1996 सम्मेलन में सूचना प्रौद्योगिकी समझौता हुआ था।  इस समझौते में यह था कि जिन भी देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया है वे देश 201 आईटी उत्पाद पर कोई टैरिफ नहीं लेंगे। अभी तक 82 सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर कर दिया है।नैरोबी सम्मेलन में यह कहा गया है कि 2019 तक इस को हम पूरी तरीके से क्रियान्वित करेंगे। इसमें एक चीज यह भी समझने लायक है कि यदि 82 देशों में अमेरिका ने साइन किया है और भारत ने नहीं किया फिर भी चुकि अमेरिका ने साइन किया है इसलिए भारत से जाने वाले आईटी उत्पाद पर अमेरिका कोई टैरिफ नहीं लेगा।

5. नैरोबी समिट में यह कहा गया कि यदि कोई सदस्य पेटेंट का एवरग्रीनिंग करता है तो उस पर कठोर कार्रवाई होगी।इसे हम ऐसे समझ सकते हैं कि किसी दवा कंपनी ने कोई दवाई बनाई और उसका पेटेंट करवा लिया तो 20 साल तक उस दवा को और कोई नहीं बना सकता और यदि कोई बनाता भी है तो रॉयल्टी के रूप में उस कंपनी को पैसा देना पड़ेगा। परंतु आजकल होता क्या है कि जब 20 साल पूरा होने वाला होता है तो दवा कंपनियां उस दवाई में थोड़ा बहुत छोटा सा बदलाव करके दूसरा नाम देकर अगले 20 साल के लिए फिर पेटेंट करा लेती है ।इससे उस दवा की जेनरिक दवाई नहीं बन पाती और लोगों को सस्ते में दवाई नहीं मिल पाती।इस एवरग्रीनिंग को नैरोबी समिट में प्रतिबंधित कर दिया है।

सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम-एक आवश्यकता

सरकार PF (provident fund भविष्य निधि) में दिए जाने वाले ब्याज दर को 8.8 से घटाकर 8.6 % करने जा रही है।
आज  हम इसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के बारे में देखेंगे।
सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम का उद्देश्य कर्मचारी और उसके परिवार को स्वास्थ्य और कार्य संबंधित समस्याओं से बचाना है। जैसे यदि व्यक्ति बीमार हो गया ,महिला कर्मचारी मां बनने वाली है तो उसको उपचार उपलब्ध कराया जाता है। यदि व्यक्ति काम करते हुए किसी दुर्घटना में उसके हाथ या पैर चले गए हो तो सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत उसका पुनर्वास कराया जाता है ।जैसे उसे कृतिम हाथ या पैर लगवा दिए जाते हैं इत्यादि इत्यादि ।यदि व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है या नौकरी चली जाती है तो उसे कंपनसेशन दिया जाता है।
यदि सरकार सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम को नहीं ले जाती तो व्यक्ति की गरिमा को खतरा हो जाता ,अपराध और बढ़ जाते , बाल श्रम की समस्या हो जाती, लोग अभाव की जिंदगी जीते, वेश्यावृत्ति बढ़ जाती।

सामाजिक सुरक्षा का इतिहास- सर्वप्रथम विश्व में सामाजिक सुरक्षा के बारे में बताने वाले सर विलियम बेवरिज थे ।1942 में इन्होंने सामाजिक insurance पर अपनी रिपोर्ट दी ।1945 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने इनकी रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और तब से ब्रिटेन में सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम लागू हो गया।
भारत में सन 1944 में B P ADARKAR करने सामाजिक सुरक्षा स्कीम के लिए रिपोर्ट दी ।सरदार पटेल ने उनकी इस उपलब्धि के लिए उनको छोटा वेबरेज कहकर पुकारा।
भारत में 1948 में ADARKAR की रिपोर्ट पर आधारित इंप्लाइज स्टेट इंश्योरेंस अधिनियम 1948 बनाया गया। इसके तहत इंप्लाइज स्टेट insurance कॉरपोरेशन की स्थापना की गई ।स्वाभाविक सी बात है या एक वैधानिक संस्था होगी। भारत में 24 फरवरी 1952 से इंप्लाइस स्टेट इंश्योरेंस स्कीम लागू हो गई।(as such date wate अगर नहीं याद रहता है तो कोई बात नहीं ।यूपीएससी के लिए यह काम का नहीं है)

EPFO( एंप्लाइज प्रोविडेंट फंड आर्गेनाईजेशन)-
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन- 1951 में इसके लिए अध्यादेश लाया गया और 1952 में इसे कानून का रुप दिया गया (जम्मू कश्मीर को छोड़कर)
यह केंद्र सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत आता है ।इसमें तीन पार्टी का बोर्ड होता है और तीन तरह की स्कीमें  होती हैं।तीन पार्टी के बोर्ड में एक पार्टी सरकार होती है जिसमें 15 मेंबर होते हैं ।दूसरी पार्टी मालिक लोग की होती है इसमें 10 मेंबर होते हैं तथा तीसरी पार्टी कर्मचारी की होती है जिस में भी 10 मेंबर होते हैं ।यह संचित निधि ,पेंशन और जमा हुई राशियों पर इंस्योरेंस संबंधी स्कीमें निकालते हैं।

ईपीएफओ कैसे काम करता है ?

इसको हम ऐसे समझ सकते हैं कि मान लीजिए एक खोखा है, उसको खोखे में कर्मचारी और मालिक दोनों पैसा डालते हैं। जिस भी कर्मचारी की तनख्वाह 15000 से कम होगी ,वह अपने बेसिक सैलरी का 12% खोखे में डालेगा और उतना ही उसका मालिक भी डालेगा ।कर्मचारी को UAN नंबर(universal account number) प्रदान किया जाता है यह नंबर का फायदा है कि यदि कर्मचारी पहली नौकरी छोड़ कर कहीं दूसरी जगह काम करने लग तो भी उसका UAN नंबर एक ही रहेगा ,उसका पैसा उस खाते में आता रहेगा।
वहीं दूसरी और मालिक को LIN (Labour identification number) नंबर प्रदान किया जाता है ।इसके लिए मोदी सरकार के श्रम सुविधा पोर्टल भी लॉन्च किया है।
इस प्रकार खोखे में जो पैसा आया ,उसका निवेश कहां करना है इसका निर्णय वो 3 पार्टी वाला बोर्ड करेगा। चुकि कर्मचारी इसमें अपना पैसा डालता है ,अतः उसको वार्षिक व्याज 8.75 की दर से इस साल मिल रहा है जिसे कल के अखबारों के मुताबिक घटाकर 8.6 प्रतिशत करने का प्रावधान है।
जो पैसा खोखे में आ रहा है उसका निवेश अभी तो गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में हो रहा है लेकिन इकनोमिक सर्वे का कहना है कि यह निवेश लंबे समय वाले आधारभूत संरचना वित्त जैसे NHAI इत्यादि में करना चाहिए। इससे लोगों को ब्याज ज्यादा मिलेगा ।सरकार ने सर्वे की बात नहीं मानी जिस का नुकसान अब उठाना पड़ रहा है। मोदी जी ने कहा है कि जो भी व्यक्ति इस योजना में अपना निवेश करता है उसे प्रतिमाह ₹1000 पेंशन दिया जाएगा। आर्थिक सर्वे के मुताबिक निवेश का 5% एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में भी डालना है। उससे 8.75% से ज्यादे ब्याज दर होगी।

NPS( नई पेंशन योजना, न्यू पेंशन स्कीम) -
यह 18 से 60 वर्ष तक के लोगों के लिए है।
यह योजना 1 जनवरी 2004 से लागू की गई है। इसके अनुसार केंद्र सरकार के सारे कर्मचारी  अपनी बेसिक सैलरी का 10% DA सहित जमा करेंगे तथा सरकार भी उतना ही पैसा अपनी ओर जमा करेगी। सैन्य सेवा के कर्मचारियों के लिए यह अनिवार्य नहीं है।इसे पीएफआरडीए द्वारा संचालित किया जाएगा जिसे 2013 में कानून बनाकर वैधानिक संस्था का रूप दे दिया गया तथा 2014 से कानून लागू हो गया। इसमें खास बात यह है कि केंद्र सरकार के कर्मचारी इस योजना में तो भाग ले ही सकते हैं साथ ही साथ Self employed लोगभी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं ।इसके तहत कर्मचारी को PRAN(PERMANENT RETIREMENT ACCOUNT NUMBER) नंबर दिया जाएगा।
इसमें शर्त यह है कि यदि आप पैसा रिटायरमेंट से पहले नहीं निकालते हैं तो आपको टैक्स लाभ दिया जाएगा ।परंतु यदि निकाल लेते हैं तो वह टैक्स लाभ नहीं मिलेगा।
नई पेंशन स्कीम कॉरपोरेट के लिए भी लागू होती है ।सन 2009 से प्रत्येक भारतीय नागरिक स्वेच्छा से इस में भाग ले सकता है।

सन 2010 में असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए स्वावलंबन योजना लाई गई
नई पेंशन योजना में 80 लाख लोग शामिल हो चुके हैं ।2 राज्य सरकारों को छोड़कर बाकी सारी राज्य सरकारों ने इसे लागू कर दिया है परंतु अब नए लोग मिल नहीं रहे ऐसा क्यों?
दरअसल बात क्या है कि EPF और PPF में तीनों स्टेज अर्थात पैसा जमा करने पर ,निवेश की गई राशि पर पाए हुए ब्याज पर और maturity के समय पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगता था।परंतु नई पेंशन योजना में पहले दो स्टेज पर तो इनकम टैक्स नहीं लगेगा परंतु आखिरी स्टेज पर इनकम टैक्स लगेगा। अतः अब नए लोग मिल नहीं रहे हैं

अटल पेंशन योजना- यह योजना 2015 में लागू की गई ।यह 18 से 40 वर्ष तक के लोगों के लिए है ।60वर्ष बाद व्यक्ति को पेंशन मिलना शुरू होगा। 60 वर्ष से पहले पैसा निकालने पर प्रतिबंध है । यह मुख्य रूप से असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए है ।इसे पीएफआरडीए क्रियान्वित करता है ।पैसा बैंक से ऑटो डेबिट हो जाएगा ।आपके योगदान के अनुसार 60वर्ष बाद ₹1000 ₹2000 ₹3000 ₹4000 और अधिकतम ₹5000 तक का पेंशन दिया जायेगा। इसमें अभिदाता की मृत्यु के पश्चात जीवन साथी को आजीवन पेंशन की समान राशि की गारंटी रहती है ।शुरू के 5 साल तक आप जितना भी पैसा डालेंगे ,सरकार भी उतना पैसा आपके अकाउंट में अपनी ओर से भी जमा कराती रहेगी। इस योजना को 2010 में कांग्रेस सरकार ने स्वावलंबन के नाम से शुरू किया था। मोदी जी ने यह कहा कि जो व्यक्ति स्वालंबन योजना के अभिदाता हैं और वह इस योजना में नहीं आना चाहते हैं तो कोई बात नहीं ,वह पुरानी योजना को ही जारी रख सकते हैं

तापीय ऊर्जा

तापीय ऊर्जा -सर्वप्रथम 1897 में दार्जिलिंग में विद्युत का उत्पादन शुरू हुआ। सन् 1902 में कर्नाटक के शिवसमुद्रम में जल विद्युत परियोजना का प्रारंभ हुआ ।पंचवर्षीय योजना के तहत् राज्य विद्युत बोर्ड का गठन हुआ।सन् 2003 में विद्युत अधिनियम बना जिसके तहत केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण का गठन किया गया ।
विद्युत के बारे में थोड़ा संवेधानिक पहलुओं को भी देख लेते हैं-

अनुच्छेद 287 के तहत् तक विद्युत के बिक्री पर राज्य सरकारें टैक्स मांग सकती है लेकिन यदि विद्युत की बिक्री रेलवे या केंद्र सरकार के किसी विभाग में हो रही हो तब राज्य सरकार को टैक्स मांगने का हक नहीं बनता। ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए पंचायती राज संस्थाएं उत्तरदायी होंगी।

विद्युत मंत्रालय के संगठन-
विद्युत मंत्रालय में दो जॉइंट वेंचर हैं।
1. सतलज जल विद्युत और नाफ्था जारकी प्रोजेक्ट (हिमाचल प्रदेश में )
2. टिहरी हाइड्रो -उत्तराखंड प्रोजेक्ट

विद्युत मंत्रालय में तीन वैधानिक संस्थाएं भी हैं।
1.दामोदर घाटी निगम
2.भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड
3.ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी

विद्युत मंत्रालय में कई एनबीएफसी पीएसयू इत्यादि भी हैं जैसे ग्रामीण विद्युतीकरण बोर्ड ,पावर ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ,पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन इत्यादि।

विद्युत मंत्रालय के तहत कई पीएसयू भी है जैसे NTPC,NHPC ,पावर ग्रिड, NE इत्यादि

विद्युत से संबंधित pm मोदी की योजनाएं-
1. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना -यह योजना बजट 2014 में लाया गया था। इसके तहत 1 मई 2018 तक भारत के पूरे गांव में बिजली प्रदान करना है ।

2. इसके बाद दिसंबर 2014 में इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम लाई गई। इसके तहत सब ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को मजबूत करना है।
3. जनवरी 2015 में राष्ट्रीय एलईडी प्रोग्राम लाया गया जिसके तहत स्ट्रीट लाइट्स, घरेलू लाइट हर जगह LED का इस्तेमाल करना होगा ।आप समझ सकते हैं कि इससे जो हमने पेरिस जलवायु समझौता में कहा था कि हम 2030 तक जीडीपी की उत्सर्जन झमता 30 से 35 परसेंट तक कम कर देंगे तो अगर यह योजना सफल हो जाती है तो जो हमने पेरिस में कहा था वो भी सफल हो जाएगा।
4. नवंबर 2015 में उदय नामक योजना लाई गई । उदय  अर्थात उज्जवल डिस्काम एश्योरेंस योजना ।इसके तहत डिस्कॉम कंपनियों को जो घाटा होता है उसकी समस्या को दूर करना होगा।

राष्ट्रीय LED प्रोग्राम -यह विद्युत मंत्रालय के द्वारा संचालित किया जा रहा है।इसके तहत एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड को बनाया गया है जो कि एनटीपीसी पीएफसी आरईसी और पावर ग्रिड का जॉइंट वेंचर है ।शुरुआत में घरों में LED लगाने को लेकर DELP नामक प्रोग्राम चलाया गया ।DELP अर्थात डोमेस्टिक एफिशिएंसी लाइटनिंग प्रोग्राम।बाद में सरकार ने को यह नाम अच्छा नहीं लगा क्योंकि घूम फिर के कोई फैंसी नाम ही रखना था ।अत: DELP को बदलकर उजाला नाम रख दिया गया ।उजाला अर्थात उन्नत ज्योति by Affordable LED's for all। इसके तहत 77 करोड़ LED बाटे जाएंगे।यह डिस्कॉम के द्वारा सस्ते में मिल जाएंगे।
स्ट्रीट लाइट्स में एलईडी फिट करने को लेकर SLNP नामक प्रोग्राम चलाया गया जिसका मतलब स्ट्रीट लाइटिंग नेशनल प्रोग्राम ह

ओपन एक्सेस पॉलिसी- जैसा की हम जानते हैं कि विद्युत अधिनियम 2003 के तहत टैरिफ निर्धारित करने काम  विद्युत नियामक बोर्ड करेगा। हम इसको ऐसे समझ सकते हैं कि मान लीजिए अनिल अंबानी की विद्युत वितरण कंपनी है ।अंबानी कुछ विद्युत पावर प्लांट से ले आते होंगे और कुछ पावर एक्सचेंज के जरिए लाते होंगे।अंबानी की पूर्ति की जो लागत है वह उनकी आमदनी यानि एवरेज टेरिफ से बहुत कम है यानी हम यह कह सकते हैं की आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया। इस प्रकार की विद्युत वितरण कंपनियों को घाटे से उभरने के लिए ओपन एक्सेस पॉलिसी लाई गई थी ।इसके तहत जो भी ग्राहक जिसकी उपभोग क्षमता 1 मेगावाट से ज्यादे है वह डायरेक्ट पावर प्लांट या पावर एक्सचेंज में जाकर बिजली खरीद सकता है ।उसको इन विद्युत वितरण कंपनियों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है ।लेकिन राज्य सरकारों ने इस योजना का विरोध कर दिया और यह योजना असफल हो गई ।

उदय नामक योजना ओपन एक्सेस पॉलिसी के असफल होने के बाद विद्युत वितरण कंपनियों को घाटे से निकालने के लिए ललाई गई है जिसके तहत इन विद्युत वितरण कंपनियों का जितना भी घाटा है उसका 50% राज्य सरकारें 31/09/2015 तक अपने सिर पर ले लेंगे और 2016 तक 25% लेने का प्रावधान है ।जो भी इन विद्युत वितरण कंपनियों का बकाया है राज्य सरकारें चुका दे सकती हैं ।मान लीजिए इसके लिए राज्य सरकार के पास यदि पैसा नहीं है तो वह बांड भी जारी कर सकती हैं ।लेकिन सरकारों पर कोई ऐसा अनिवार्यता नहीं है कि वह इइस योजना में आए ।लेकिन जो भी राज्य सरकारें ऐसा करेंगे ,केंद्र सरकार उनको दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना जैसी विद्युत संबंधित जितनी भी योजनाएं चल रही है उसमें कुछ अतिरिक्त फंडिंग में मदद कर देगी अर्थात यह एक सहकारी संघवाद का बहुत ही अच्छा उदाहरण होगा।

MDG( मिलेनियम डेवलपमेंट गोल)


  1. MDG( मिलेनियम डेवलपमेंट गोल)- सन 2000 में यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली की बैठक हुई। वहां उन्होंने मिलेनियम डेवलपमेंट गोल का प्रस्ताव पास किया। इन गोल को 2015 तक प्राप्त कर लेना था। इसमें 8 गोल थें तथा एसोसिएटेड टारगेट की संख्या 18 थी।

EARTH SUMMIT - यह सम्मेलन ब्राजील के रियो डी जनेरियो शहर में 1992 में हुआ था। ठीक इसके 20 वर्ष बाद रियो में ही 2012 में RIO+20 के नाम से सम्मेलन हुआ जहां यह तय हुआ कि क्योटो प्रोटोकॉल को 2020 तक ही जारी रखेंगे और 2020 के बाद क्या करना है, यह 2015 के पेरिस सम्मेलन में सभी देशो को तय करके रखना है तथा इस सम्मेलन में यह भी तय हुआ कि सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल ( धारणीय विकास लक्ष्य) जैसी कोई चीज लेकर आएंगे। इसके अनुसंधान में सितंबर 2015 को संयुक्त राष्ट्र सस्टेनेबल डेवलपमेंट सम्मेलन  में 17 सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल को अपनाया गया। जिसको शुरू करने की तिथि 1 जून 2016 है तथा गोल को प्राप्त करने की अंतिम तिथि 2030 तक है। धारणीय विकास लक्ष्य में एसोसिएटेड टारगेट की संख्या 169 है।
1987 में पर्यावरण और विकास पर सुझाव देने हेतु गठित आयोग जिसका नाम Brundtland Commission था, ने सबसे पहले सस्टेनेबल डेवलपमेंट ( धारणीय विकास) की परिभाषा दी।

क्या हैं 17 लक्ष्य?
1. गरीबी कम करना।
2. भुखमरी कम करना।
3. लोगों का स्वास्थ्य ठीक होना मातृ मृत्युदर, शिशु मृत्यु दर, बाल मृत्युदर इत्यादि को कम करना।
4. लोगों को कौशल देना।
5. लिंग असमानता कम करना। जैसे हमारे संविधान में नीति निदेशक तत्वों में समान कार्य के लिए समान वेतन देने को कहा गया है।
6. सब को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराना
7. नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना और सब को बिजली उपलब्ध कराना
8. सभी के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।
9. अच्छी सड़कों का जाल बिछाना
10. गरीब देशों की संख्या कम करना
11. शहर के अंदर धारणीय आधारभूत संरचनाओं का निर्माण करना
12. धारणीय उपभोग को बढ़ावा देना।
13. पर्यावरण की रक्षा करना
14. समुद्र में जैव विविधता की रक्षा करना।
15. स्थल पर जैव विविधता की रक्षा करना।
16. सभी देशों को अपने यहाँ जितने भी लोग रहते हैं सबके साथ समान न्याय करना
17. और इन सब  लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी देश आपस में साझीदारी करेंगे तभी यह लक्ष्य प्राप्त हो सकते हैं।

इकनोमिक सर्वे के अनुसार SDG में 17 गोल और 169 एसोसिएटेड टारगेट हैं जिन को पूरा करने के लिए काफी सारा पैसा चाहिए होगा। अतः 2030 तक सभी लक्ष्य पूरे हो जाएं ऐसा संभव नहीं है। इसलिए हम प्राथमिकता के आधार पर लक्ष्यों को पूरा करेंगे।
2016 के बजट में धारणीय विकास लक्ष्य को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान नामक योजना लाई गई। जिसके तहत सरकार नेे 655 करोड रुपए दिए। इसके तहत पंचायती राज संस्थाओं के गवर्नेंस संरचना को सुधारा जाएगा।

भारतीय रेल- एक परिचय

1853- भारत में पहली रेल सेवा मुंबई से ठाणे (21mile) के बीच शुरू हुई। यह लॉर्ड डलहौजी के प्रयासों से सफल हुआ। डलहौजी ने इस काम के लिए चीफ इंजीनियर जॉर्ज क्लर्क को नियुक्त किया था।
डलहौजी ने रेलवे लाइन बिछाने के लिए बाहर से निवेशकों को भी आमंत्रित किया था। जितना भी पैसा वे निवेश किए थे, डलहौजी उनको उस पर 5% ब्याज भी देता था और ठेका पूरा हो जाने के बाद सरकार उसे खरीद लेती थी।

1854- कोयले को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए कोलकाता से रानीगंज तक रेल सेवा प्रारंभ की गई

1856- मद्रास से एराकोरम तक रेल सेवा प्रारंभ की गई।

Rail Track- Types of gauge
1)Broad gauge-1676mm
2)Meter gauge-1000mm
3)Narrow gauge-762mm,610mm (lift gauge)

आजादी के बाद योजना बनी थी कि कुछ चिन्हित मार्गो पर मीटर गेज और Narrow गेज को आपस में मिला दिया जाए। जिस प्रोजेक्ट के तहत यह काम किया गया उसका नाम प्रोजेक्ट यूनीगेज था।

Rail Budget -
1924 से पहले रेल बजट और जनरल बजट दोनों एक ही में पेश किया जाता था। परंतु 1921 में Acworth आयोग का गठन किया गया जिसने यह सुझाव दिया कि रेल बजट को जनरल बजट से अलग कर दिया जाना चाहिए।1924 में रेल बजट को जनरल बजट से अलग कर दिया गया। हलाकि हमारे संविधान में ऐसा कहीं उल्लेख नहीं है परंतु संसद के नियमों में है कि हाँ, ऐसा हो सकता है।

रेल बजट पर भारत में Bibek Debroy आयोग का गठन किया गया। Bibek Debroy नीति आयोग के सदस्य हैं। इन्होंने जून 2016 में सरकार को सौंपी गई रिपोर्ट में यह कहा  कि रेल बजट को अलग से पेश करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

Rail Budget 2016 में चार आयाम तय किए गए।
1. नव अर्जन
2. नव मानक
3. नव संरचना
(as such इसमें क्या-क्या है यह upsc के लिए इतना जरुरी नहीं है)

हाई स्पीड ट्रेन और बुलेट ट्रेन-
हाईस्पीड ट्रेन की गति 200 से 250 किलोमीटर प्रति घंटा रहेगी तथा बुलेट ट्रेन की गति 320 किलोमीटर प्रति घंटा या उसके ऊपर रहेगी।

अब यह ट्रेनें चलेंगी तो कुछ लोग को मजा नहीं आएगा तो उनकी आलोचना क्या है-
1) इससे ध्वनि प्रदूषण ज्यादे होगा
2) चूकि इसके लिए कॉरिडोर बनाने पड़ेंगे तो भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता पड़ेगी। पेड़ पौधों को काटना पड़ेगा जिससे पर्यावरण को नुकसान होगा।
3) लोगों का विस्थापन हो जाएगा।
4) चूकि ये ट्रेनें विकसित राज्यों में ही चलेगी जैसे पहली बुलेट ट्रेन मुंबई से अहमदाबाद के बीच चलेगी तो उनका तो ठीक है परंतु तो गरीब राज्य है जैसे उड़ीसा इत्यादि वहां के साथ अन्याय होगा। इससे क्षेत्रीय असंतुलन उत्पन्न होगा।

इसके पक्ष में भी कुछ लोग बोलेंगे वह भी देख लेते हैं
1) बुलेट ट्रेन परियोजना जापान, चीन और यूरोप जैसे देशों में सफल रही है अतः भारत में भी सफल रहेगी
2) इस में सफर करना काफी आरामदायक रहेगा, समय की बचत भी होगी
3) यह देश में रोजगार भी उत्पन्न करेगी

इतना पैसा कहां से आएगा इस ट्रेन को चलाने के लिए?

सरकार के मुताबिक इस परियोजना में लगभग 100000 करोड रुपए का खर्च आएगा। जापान ने आश्वासन दिया है कि कुल खर्च का 80% हम भारत को़ लोन के रूप में देंगे।  शुरुआत के 15 साल तक भारत को एक भी पैसा जापान को देने की आवश्यकता नहीं है लेकिन उसके बाद 50 साल के अंदर सारा पैसा ब्याज सहित लौटा देना है। जापान ने एक शर्त यह भी रखी है कि  इस परियोजना के लिए जो भी टेक्नोलॉजी, मटेरियल आप इस्तेमाल में लाएंगे उसका कुछ प्रतिशत भारत को जापान से ही लेना पड़ेगा।

भारत की पहली बुलेट ट्रेन द्वारा तय की गई दूरी 508 किलोमीटर होगी। इस बुलेट ट्रेन में 750 से 1200 सीटें होंगी। प्रतिदिन 35 ट्रिप करेगी। सरकार की योजना है कि 2053 तक ट्रिपो की संख्या बढ़ाकर 105 कर देंगे।

IIM अहमदाबाद के अनुसार यदि सरकार बुलेट ट्रेन का किराया ₹1500 per टिकट रखती है और 100 ट्रिप प्रतिदिन करती है तब जाकर जापान को उस का पैसा वापस करवाएगी। अतः यह परियोजना भारत में सफल नहीं होने वाली है।

2016 बजट में प्रभु ने कुछ नई ट्रेनें चलाने की घोषणा की।
1.) अंत्योदय- यह पूरी तरह से अनारक्षित सुपर फास्ट ट्रेन होगी
2.) दीन दयालु कोच- यह अनारक्षित कोच होंगे इसमें पोर्टेबल वाटर और मोबाइल चार्जिंग पॉइंट होंगे।
3.) हमसफर- यह पूरी तरीके से तृतीए एसी ट्रेन होगी।(with optional meal)
4.) तेजस -इसकी रफ्तार 130 किलोमीटर प्रतिघंटा रहेगी। इसमें wifi खाना मनोरंजन सारी सुविधा उपलब्ध होंगी।
5.)UDAY-utkrist double darker yatri ( घुमा फिरा के कुछ फैंसी नाम रखना ही है सरकार को)
यह पूरी तरीके से वातानुकूलित डबल डेकर ट्रेन होगी जो कि रात्रि के समय व्यस्त रूटों पर चलाई जाएगी।
(UPSC-CAPF 2015 में इससे प्रश्न निकले थें)

2016 के बजट में वित्त और जवाबदेही से संबंधित कुछ नए प्रावधान लाए गए हैं-
1) ट्रेन में सारी सुविधाओं के लिए एक ही व्यक्ति जवाबदेह होगा। स्टेशन मास्टर के नीचे स्टेशन डायरेक्टर की नियुक्ति होगी जो की ट्रेन में सारी सुविधाओं के लिए जवाबदेह होंगे
2) अगर किसी को कोई परेशानी हो तो आईवीआरएस सिस्टम, मोबाइल एप्प इत्यादि के जरिए अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है।
3) भौतिक रूप से प्रगति को देखने के लिए उपग्रह तकनीकी की मदद ली जाएगी

वित प्रबंधन
1) बजट में प्रावधान है कि अब 300 करोड़ से ऊपर वाले ठेके Epc(engineering, procurement, construction) के जरिए लिए जाएंगे
2) नए कॉरीडोर जो बन रहे हैं वह पीपीपी के जरिए बनाए जाएंगे
3) कुछ पैसा CSR( कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के नाम पर भी लाएंगे। कुछ एनजीओ से भी ले आएंगे।

 रेलबजट बजट कर्मचारी सुरक्षा-
1) गैंगमैन की सुरक्षा के लिए rakshak नाम का उपकरण उपयोग में लाया जाएगा।
2) अब कुली को कुली नहीं कहा जाएगा। उन्हें सहायक के नाम से पुकारा जाएगा।
3) लोको पायलट को एसी और टॉयलेट की सुविधा भी उपलब्ध होगी
4) 2020तक कोई भी मानव रहित क्रासिंग नहीं होगा।

ट्रेनों में बायो वैक्यूम टॉयलेट बनाए जाएंगे। इस टॉयलेट में मात्र 500 मिलीलीटर पानी उपयोग में आता है। वेस्ट टैंक में आवायुवीय जीवाणु psy-chro-rhile प्रयोग में लाया जाता है जो वेस्ट को पानी और गैस में परिवर्तित कर देता है।

 बजट में यह भी कहा गया है कि रेलवे में रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए srestha और sutra की नियुक्ति की जाएगी जोकि ट्रेनों में क्या-क्या सुविधाएं दी जानी चाहिए, उस पर अनुसंधान करेंगे।

बजट में इनको रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए कौशल देने के लिए दो योजनाएं भी प्रस्तावित की गई है।
1) CT Venugopal chair- दरअसल वेणुगोपाल भारतीय रेलवे की पहले अकाउंट सर्विस ऑफिसर थे। इन्हीं के नाम पर यह योजना शुरू की गई है।
2) कल्पना चावला चेयर- इस योजना के तहत् रेलवे को उपग्रह से कैसे कनेक्ट करना है, इस पर अनुसंधान होगा। उपग्रह के जरिए हम रेलवे की भौतिक प्रगति को देख सकते।

Bitcoin

Bitcoin-

Bitcoin एक प्रकार की वर्चुअल करेंसी है ।इसे हम क्रिप्टो करेंसी भी बोलते हैं । यह एक प्रकार की e-करेंसी है। बिटक्वाइन के जनक सतोषी नाकोमोटो है ।उन्होंने 2008 में सबसे पहले दुनिया के सामने यह करेंसी ले आई ।2009 से इसका प्रचलन प्रारंभ हो गया। सतोषी नाको मोटो की वास्तविक पहचान अभी तक नहीं हो पाई है ।2009 में कैलिफोर्निया से सतोषी  नोकोमोटो समझ कर एक व्यक्ति को पकड़ा गया परंतु उसने कह दिया कि मैं तो सतोषी नाकोमोटो  नहीं हूँ।

कैसे कमा सकते हैं बिटक्वाइन-
बिटकॉइन कमाने के 3 तरीके हैं-
1. माइनिंग सॉफ्टवेयर की मदद से डाटा ब्लॉक हल करके हम बिटक्वाइन कमा सकते हैं।
2. अगर मान लो हम डॉट ब्लॉक हल नहीं कर पा रहे हैं तब भी हम बिटक्वाइन कमा सकते हैं ।हम वस्तु और सेवाओं को जिसके पास बिटक्वाइन है उसको बेच कर उससे बिटक्वाइन कमा सकते हैं।
3. अब मान लो हमारे पास वस्तुओं सेवाएं भी नहीं हैं तो भी हम बिटक्वाइन कमा सकते है ।हम जिस के पास भी बिटक्वाइन है उसको पेपर मनी  देदे और उसके समतुल्य बिटक्वाइन उससे प्राप्त कर सकते हैं। जैसे आज के समय में 1 बिटक्वाइन की कीमत ₹40761.45 है।
( यह बता तो रहे हैं लेकिन इस प्रकार से कमाने मत लग जाइएगा आप लोग। जैसे कि मन में आ गया कि अभी हम कंपटीशन की तैयारी कर रहे हैं तो कुछ साइड इनकम के लिए यही तरीका अपना लेते हैं,FEMA के अंतर्गत अंदर भी जा सकते हो)

सन 2031 तक सिस्टम में 21 मिलियन बिटक्वाइन का व्यापार होगा।

यदि आप 2.1 लाख डाटा ब्लॉक सॉल्व करते हैं तो आपको 50 बिट क्वाइन मिलेंगे ।अगले 2.1 लाख डाटा ब्लॉक यदि हल करते हैं तब आपको 25 बिटक्वाइन मिलेंगे ।इस प्रकार से इनकी संख्या घटती जाएगी। यह असीमित मात्रा में नहीं रहेंगे।

जैसे ₹1 में सौ पैसा होता है उसी प्रकार एक बिटक्वाइन में 10 (8, यह 8, 10 का पावर होगा) होता है ।बिटकॉइन की सबसे छोटी इकाई सतोषी है।

 मैं यह बार-बार कह रहा हूं कि डाटा ब्लॉक सॉल्व करने से बिटक्वाइन मिलते हैं । डाटा ब्लॉक नेट पर चलता रहता है। डाटा ब्लॉक को हल करने की स्पीड हेज रेट पर सेकंड में मापी जाती है ।समान्य लैपटॉप मे टाटा ब्लॉक को सॉल्व करने की स्पीड मात्र 30 kh/sec होती है और यदि लेपटॉप 24 घंटे चालू रहता है तब भी मात्र हम .003 बिटक्वाइन ही कमा पाएंगे यानी मात्र 3 डॉलर ही कमा पाएंगें। विद्युत बिल का खर्चा अलग होगा यानी हाथ में कुछ नहीं आने वाला।

अतः इन डाटा ब्लॉक्स को सॉल्व करने के लिए इस क्षेत्र के बड़े-बड़े खिलाडी माइनिंग सॉफ्टवेयर की मदद लेते हैं जिससे कि हल करने की स्पीड बहुत ही बढ़ जाती है। इसके लिए वे पावरफुल सिस्टम का उपयोग करते हैं जिसमें वह माइनिंग सॉफ्टवेयर डालते हैं इसमें माइनिंग रिग्स लगे होते हैं ।अब सवाल उठता है कि माइनिंग रिग्स क्या होते हैं ।देखो यदि तुम माइनिंग सॉफ्टवेयर को cpu की मदद से चलाओगे तो बहुत धीमी स्पीड मिलेगी ।लेकिन माइनिंग रिग्स में ग्राफिक्स कार्ड ग्राफिकल यूनिट मौजूद होता हैजिसमें gpu होता है और यदि जीपीयू की मदद से चलाओगे तो स्पीड बहुत ही तेज मिल जाएगी ।तो जो इस क्षेत्र के बड़े-बड़े खिलाड़ी होते हैं वे एक pc में बहुत ज्यादे ग्राफिक्स कार्ड ग्राफिकल यूनिट लगा देते हैं और इस प्रकार से कई दर्जन pc का उपयोग करके बिटक्वाइन कमाते हैं

क्या बिटक्वाइन का स्थानांतरण संभव है?
हां इसका स्थानांतरण संभव है ।इसके लिए आपको अपने सिस्टम में डिजिटल वालेट/e- वालेट सॉफ्टवेयर को लोड करना पड़ेगा ।यहां पर जाकर अपना अकाउंट बनाना पड़ेगा जैसे जीमेल पर अकाउंट बनाते हैं तो ईमेल एड्रेस और पासवर्ड होता है उसी प्रकार से यहां पर पब्लिक एड्रेस और पासवर्ड होता है ।यहां पर नाम, ip एड्रेस ,फोन नंबर इत्यादि का कोई भी उल्लेख नहीं किया जाता ।अत: इसका प्रयोग हवाला तथा टेरर फाइनेंसिंग में होता ह

जैसे ई मेल में आपको मान लीजिए बार बार देखो की cd फॉरवर्ड करनी है तो आप जितने लोगों को चाहे उतने को फॉरवर्ड कर सकते हैं लेकिन यहां एक बार में केवल 1 लोगों को ही बिटक्वाइन ट्रांसफर किया जा सकता है।बिटक्वाइन के स्थानांतरण पर निगरानी रखने के लिए पब्लिक लेजर मेल नामक एक सॉफ्टवेयर बनाया गया है जो प्रत्येक 10 मिनट पर बिटक्वाइन की ट्रांजैक्शन पर नजर रखता है ।आरटीजीएस और एनईएफटी के लिए ऑनलाइन पैसा भेजने के लिए सीलिंग निर्धारित है लेकिन बिटक्वाइन में कोई सीलिंग निर्धारित नहीं है आप कितना भी पैसा चाहे इधर से उधर भेज सकतेे आरटीजीएस और एनईएफटी के लिए ऑनलाइन पैसा भेजने के लिए सीलिंग निर्धारित है लेकिन बिटक्वाइन में कोई फीलिंग निर्धारित नहीं है आप कितना भी बिटक्वाइन चाहे इधर से उधर भेज सकते हैं ।बिटकॉइन की ट्रेडिंग चौबीसों घंटे चालू रहती है।
जिस व्यक्ति ने बिटकॉइन कमा लिया होता है तो आप उसको इस को डॉलर में बदलवाना पड़ेगा।इसके लिए कुछ वेबसाइट चल रही है जो यही काम करती है ।वह आपके बिटकोइन लेकर आपको उसके समतुल्य डालर दे देती हैं।

पाकिस्तान -अभी भी मोस्ट फेवर्ड नेशन क्यों?

क्या भारत पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दिया हुआ दर्जा वापस लेगा? मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लेने में किन किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है भारत को? क्या इससे भारत का कोई नुकसान भी हो सकता है?

भारत ने पाकिस्तान को 1996 में मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया था।इसके तहत पाकिस्तान से भारत आने वाले सामानों पर भारत आयात कर नहीं लेता था। मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा विश्व व्यापार संगठन की दो समझौते GATT(जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ एंड ट्रेड) और GATS( जनरल एग्रीमेंट आन ट्रेड इन सर्विसेस) के लिए लागू होता है।
भारत पाकिस्तान के मोस्ट फेवर्ड नेशन के दर्जे को वापिस ले सकता है। इसमें उसको कोई भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि अगर आप इस समझोते के आर्टिकल 21(b)(iii) को पढ़िए,जो की सुरक्षा अपवाद से संबंधित है तो उसने साफ-साफ लिखा है कि कोई भी देश अपने देश की सुरक्षा के लिए युद्ध या युद्ध जैसे हालात या इमरजेंसी के समय यह मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापिस ले सकता है।इससे बचने के लिए सामने वाला देश कुछ भी नहीं कर सकता है। सामने वाला देश यदि इसका विरोध करते हुए डब्ल्यूटीओ की डिस्प्यूट सेटलमेंट बॉडी में जाता भी है तो भी वहां उसकी सुनवाई नहीं होगी क्योंकि यह तो नियम के तहत किया गया है।
मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लिए जाने को लेकर कुछ लोग यह भी गाना गाते हैं कि इससे केवल सांकेतिक फर्क पड़ेगा,होगा कुछ नहीं। वे कहते हैं कि दक्षिण एशियाई देशों में भारत के प्रति गुडविल कम होगा। भारत का पाकिस्तान के साथ कुल 2.6 बिलियन डॉलर का व्यापार है जिसमें 2.2 बिलियन डॉलर का तो भारत ही निर्यात करता है।अतः वे लोग कहते हैं कि यदि हमने मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस ले लिया तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा परंतु यदि पाकिस्तान ने भारत से आने वाले माल पर प्रतिबंध लगा दिया तो भारत के निर्यात पर काफी फर्क पड़ जाएगा।अतः उनका कहना है कि मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस न लिया जाए।
परंतु मेरा कहना है कि थोड़ा नुकसान ही सही,लेकिन हमने पाकिस्तान को जो मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया है उसे वापिस ले लेना चाहिए।

करुणा गोपाल - एक संघर्षगाथा

मोदी सरकार ने एक महिला अधिकारी को रातों-रात इंडिया बुला लिया। वो अमेरिका में तैनात थीं। इस बात को लेकर पूरे देश में उनकी चर्चा है। इनका नाम है करूणा गोपाल। करुणा की चर्चा इसलिए कर रही है क्योंकि ये 100 स्मार्ट सिटी बनाने की योजना की प्रमुख सलाहकार हैं। पीएम मोदी की सरकार ने खुद भारत में होने वाले इस कार्य के लिए करुणा को इनवाइट किया है। करुणा की तमाम उपलब्धियों के पीछे उनका संघर्ष है।

कैसा रहा करुणा का संघर्ष-जब करुणा 14 साल की थीं, तब उन्हें कार्डियक अटैक हुआ था। क्लिनिकली उन्हें मृत मान लिया गया था, लेकिन वे फिर जी उठीं। इसके बाद पढ़ाई पूरी कर वे एनआईआईटी में बतौर फैकल्टी पढ़ाने लगीं, साथ ही सॉफ्टवेयर इंजीनियर का काम भी करने लगीं। 1991 में इनकी शादी गोपालकृष्ण से हो गई। बता दें कि शादी के एक साल बाद उन्होंने बेटे को जन्म दिया था, जिसका नाम विक्रम है। विक्रम के दो साल का होते ही करुणा समझ गई थी कि उनके बेटे के साथ कुछ प्रॉबलम है।
जब पता चला कि बेटे को ऑटिज्म की तकलीफ है तो करुणा का पूरा जीवन ही बदल गया। गोपाल और करुणा अच्छे परिवारों से हैं। उन्होंने कुछ समय काम बंद कर दिया। लेकिन काम तो करना था, तो रात में जब बेटा सो जाता, तब काम करती। तब एक करीबी से पता चला कि इस तरह के बच्चे बहुत अच्छे आर्टिस्ट होते हैं। तब विक्रम की रुचि जानकर उसे पेंटिंग की ओर आगे बढ़ाया, आज विक्रम बहुत अच्छा पेंटर है।
कई देशों में बना चुकी है स्मार्ट सिटी का डिजाइन-करुणा ने अपने घर से ही काम करना शुरू किया था। 1990 के दशक में उनके साथ वर्चुअल टीम थी। यहीं ने करुणा के जीवन में बदलाव आया। वे एडवाइजर के रूप में काम करने लगीं। करुणा ने अमरीका, सिंगापुर और वियतनाम आदि देशों से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट डिजाइन के प्रस्ताव आए और वे काम करने लगीं। अपने इस काम की वजह से वे वेंकैया नायडू के कॉन्टैक्ट में आईं और विदेशों का काम देखकर देश में स्मार्ट सिटी के लिए काम करने का प्रस्ताव मिला। उन्होंने ही देश का स्मार्ट सिटी मिशन डिजाइन किया है। प्रधानमंत्री ने करुणा गोपाल को इस मिशन लॉन्च पर आमंत्रित किया था। वे मसूरी में आईएएस अकादमी में भी पढ़ाती हैं।